कोलकाता। केंद्र पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) और ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स (ओबीसी) के विलय के बाद बनने वाली इकाई के लिये नया नाम और प्रतीक चिन्ह की घोषणा करेगा। बैंक के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। नई इकाई भारतीय स्टेट बैंक के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा जिसका कुल व्यापार आकार 18 लाख करोड़ रुपए का होगा। गौरतलब है कि पिछले साल सरकार ने पीएनबी में अन्य दो बैंकों (ओबीसी और यूनाइटेड बैंक) में विलय का फैसला किया था। इस मर्जर के बाद पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा।
1 अप्रैल से ऑपरेशन में आएगा नया बैंक
यूबीआई के एक अधिकारी ने कहा, 'सरकार विलय के बाद बनने वाली इकाई के नये नाम और प्रतीक चिन्ह की घोषणा करेगा। यह एक अप्रैल 2020 से परिचालन में आएगा।' उसने कहा कि नये बैंक की पहचान बनाने को लेकर प्रतीक चिन्ह (लोगो) काफी महत्वपूर्ण है। इस बारे में तीनों सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उच्च स्तर पर चर्चा हुई है। अधिकारी ने कहा कि तीनों बैंकों ने प्रक्रियाओं के मानकीकृत बनाने और तालमेल बैठाने को लेकर 34 समितियां बनायी थी। समितियों ने संबंधित निदेशक मंडलों को अपनी रिपोर्ट पहले ही सौंप दी है।
विलय के बाद 1 लाख होगी कर्मचारियों की संख्या
अधिकारी ने कहा कि प्रमुख बैंक पीएनबी ने परामर्शदाता ईवाई नियुक्त किया है जो मानकीकरण और तालमेल बैठाने को लेकर निगरानी करेगा। इसमें मानव संसाधन, साफ्टवेयर, उत्पाद और सेवाओं से जुड़े मामले शामिल हैं। अधिकारी के अनुसार विलय के बाद बनने वाली इकाई में संयुक्त रूप से कर्मचारियों की संख्या एक लाख होगी।
विलय के बाद ग्राहकों पर पड़ेगा ये असर
- ग्राहकों को नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी मिल सकता है।
- जिन ग्राहकों को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड मिलेंगे, उन्हें नए डीटेल्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरंस कंपनियों, म्यूचुअल फंड, नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) आदि में अपडेट करवाने होंगे।
- एसआईपी या लोन ईएमआई के लिए ग्राहकों को नया इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है।
- नई चेकबुक, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड इशू हो सकता है।
- हांलाकि, फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) या रेकरिंग डिपॉजिट (आरडी) पर मिलने वाले ब्याज में कोई बदलाव नहीं होगा।
- जिन ब्याज दरों पर व्हीकल लोन, होम लोन, पर्सनल लोन आदि लिए गए हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा।
- कुछ शाखाएं बंद हो सकती हैं, इसलिए ग्राहकों को नई शाखाओं में जाना पड़ सकता है।
- मर्जर के बाद एंटिटी को सभी इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरिंग सर्विस (ECS) निर्देशों और पोस्ट डेटेड चेक को क्लीयर करना होगा।