नई दिल्ली: मोदी सरकार ने देश के नौकरी करने वाले लोगों को बहुत बड़ी राहत देते हुए ग्रेच्युटी पर बड़ा विधेयक पास कर दिया है। सरकार ने श्रम कानून में बदलाव के लिए संसद से इस विधेयक को पास किया है। इस विधेयक के कानून बन जाने के बाद कोई कर्मचारी एक साल की नौकरी करने के बाद से ही कंपनी से ग्रेच्युटी का पैसा पाने का हकदार हो जाएगा। इससे पहले यह अवधि पांच साल की थी। अब अगर कोई कर्मचारी 1 साल नौकरी करने के बाद कंपनी छोड़ देता है तो भी उसे ग्रेच्युटी मिलेगी। इससे पहले के नियमों के अनुसार व्यक्ति को एक कंपनी में 5 साल नौकरी करनी होती थी उसके बाद ही वह ग्रेच्युटी के पैसों का हकदार होता था।
ऐसे कैलकुलेट होता है ग्रेच्युटी का पैसा
मान लीजिए कि किसी कर्मचारी ने 20 साल एक ही कंपनी में काम किया। उस कर्जचारी की अंतिम सैलरी 75000 रुपए (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर) है।
यहां महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है। वहीं एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है।
कुल ग्रेच्युटी की रकम = (75000) x (15/26) x (20)= 865385 रुपए
इस तरह ग्रेच्युटी की कुल रकम 8,65,385 रुपए आ जाएगी, जिसका कर्मचारी को भुगतान कर दिया जाएगा।
सरकार ने ग्रेच्युटी की ऊपरी सीमा भी तय कर रखी है. इसके तहत किसी व्यक्ति को ग्रेच्युटी के रूप में अधिकतम 20 लाख रुपए का भुगतान किया जा सकता है।
राज्यसभा में बुधवार को पारित हुए विधेयक संहिताएं
- उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्यदशा संहिता 2020 (Occupational Safety, Health & Working Conditions Code)
- औद्योगिक संबंध संहिता 2020 (Industrial Relations Code)
- सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 (Code On Social Security)
तीन श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी
संसद ने तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को हटाने की अनुमति होगी। राज्यसभा ने बुधवार को उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020, औद्योगिक संबंध संहिता 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया।
लोकसभा ने इन तीनों संहितों को मंगलवार को पारित किया था और अब इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने तीनों श्रम सुधार विधेयकों पर एक साथ हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘‘श्रम सुधारों का मकसद बदले हुए कारोबारी माहौल के अनुकूल पारदर्शी प्रणाली तैयार करना है।’’
उन्होंने यह भी बताया कि 16 राज्यों ने पहले ही अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की अनुमति के बिना फर्म को बंद करने और छंटनी करने की इजाजत दे दी है। गंगवार ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए यह उचित नहीं है कि इस सीमा को 100 कर्मचारियों तक बनाए रखा जाए, क्योंकि इससे नियोक्ता अधिक कर्मचारियों की भर्ती से कतराने लगते हैं और वे जानबूझकर अपने कर्मचारियों की संख्या को कम स्तर पर बनाए रखते हैं।