नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक याचिका पर दिल्ली सरकार से जबाव मांगा, जिसमें नई उत्पाद नीति 2021-22 के तहत 12 क्षेत्रीय खुदरा लाइसेंस देने के लिए बोलियां आमंत्रित करने के लिए जारी की गई नोटिस को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया कि यह नोटिस भेदभावपूर्ण, अव्यवहारिक और एकपक्षीय है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने शहर में शराब का खुदरा कारोबार करने की इच्छा रखने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दर्पण वाधवा ने कहा कि नई आबकारी नीति में शराब की होम डिलीवरी शुरू की गई है, जिससे खुदरा विक्रेताओं के कारोबार पर असर पड़ सकता है। उन्होंने तर्क दिया, ‘‘खुदरा विक्रेता इससे प्रभावित होंगे। जब वे होम डिलीवरी शुरू करते हैं, तो कोई भी मुझसे और मेरे व्यवसाय से कभी नहीं खरीदेगा। कोई भी कहीं से भी बेच सकता है।’’ अदालत ने हालांकि कहा कि सरकार की नीति लोगों के फायदे के लिए है, न कि ‘‘कमाई’’ के लिए।
पीठ ने कहा, ‘‘आपका मुद्दा यह है कि नीति आपकी आमदनी को कम करती है। नीति जनता की भलाई के लिए है, न कि आपकी कमाई के लिए। आपको घर पर कौन सी चीजें नहीं मिल रही हैं? चारों ओर देखिए - किताबें, मोबाइल, कपड़े’’ याचिकाकर्ता ने कहा कि निविदा आमंत्रित करने के लिए 13 अगस्त को जारी नोटिस से यह स्पष्ट नहीं है कि होम डिलीवरी लाइसेंस धारक क्षेत्रीय शराब विक्रेता या थोक विक्रेता से शराब खरीदेगा या उसे एक केंद्रीकृत गोदाम स्थापित करने और खुदरा विक्रेता के साथ ही थोक व्यापारी के रूप में काम करने की अनुमति दी जाएगी। याचिका में कहा गया है कि नीति अधूरी है और शराब के व्यापार से जुड़े विभिन्न पहलुओं के संबंध में सवालों के जवाब नहीं देती है। याचिका पर अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी।