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दीवालिया कंपनियां भी नहीं दबा पाएंगी कर्मचारियों के पैसे

सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए बैंकरप्‍सी कानून में कर्मचारियों को भी दीवालिया हुई कंपनी की संपत्ति जब्‍त करने का अधिकार मिल गया है।

Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated : May 23, 2016 11:09 IST
Power In You: दीवालिया कंपनियां भी नहीं दबा पाएंगी कर्मचारियों के पैसे, कानून में मिला संपत्ति जब्‍त करने का अधिकार
Power In You: दीवालिया कंपनियां भी नहीं दबा पाएंगी कर्मचारियों के पैसे, कानून में मिला संपत्ति जब्‍त करने का अधिकार

नई दिल्‍ली। कंपनी दीवालिया होने की स्थिति में सबसे बुरे हालात कर्ज देने वाले बैंक के साथ कर्मचारियों के होते हैं, जिन्‍हें अपना मेहनताना भी नहीं मिल पाता। लेकिन सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए बैंकरप्‍सी कानून में कर्मचारियों को भी दीवालिया हुई कंपनी की संपत्ति जब्‍त करने का अधिकार मिल गया है। नए बदलाव के मुताबिक लेंडर्स, शेयरहोल्डर्स और यहां तक कि एंप्लॉयी भी बैंकरप्ट कंपनी की देश-विदेश में मालिकाना हकवाली हर उस अचल संपत्ति को जब्त करने की मांग कर सकते हैं, जिनकी गारंटी प्रमोटर ने लोन के लिए जमानत के तौर पर लेंडर्स को दी हो। उनको बकाया वसूली में मदद करने के लिए नए बैंकरप्सी लॉ में ऐसा प्रोविजन किया गया है।

इकनॉमिक सेक्रेटरी शक्तिकांत दास ने बताया कि जिस बैंकरप्सी कोड को संसद ने इसी महीने मंजूरी दी है, उसमें एंप्लॉयीज, क्रेडिटर्स और शेयरहोल्डर्स को बैंक लोन पर डिफॉल्ट जैसे फाइनेंशियल स्ट्रेस के पहले संकेत नजर आने पर रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू कराने का अधिकार मिला है। दास ने कहा कि अगर नौ महीने के रिजॉल्यूशन पीरियड के बाद भी दिक्कत बनी रहती है तो वे कंपनी की देश और विदेश की अचल संपत्ति जब्त कराए जाने की मांग कर सकते हैं, जिनकी प्रमोटर्स ने लोन लेने के लिए पर्सनल गारंटी दी हो। उन्होंने कहा, ‘मैं किसी एक कंपनी या केस पर कमेंट नहीं करूंगा।’ क्या इस प्रोविजन का इस्तेमाल बिजनेसमैन विजय माल्या के खिलाफ किया जा सकता है, दास ने कहा कि वह किसी एक मामले पर कमेंट नहीं करेंगे। माल्या पब्लिक सेक्टर बैंकों के 9000 करोड़ रुपये के बकाया पेमेंट पर डिफॉल्ट करने के बाद अब ब्रिटेन में रह रहे हैं।

दास ने कहा कि नए कानून से देश में फाइनेंशियल सेक्टर का ढांचा बदल जाएगा क्योंकि इससे एक नया और मजबूत सिस्टम तैयार होगा जहां वित्तीय मुश्किलों में फंसी कंपनियों को समयबद्ध तरीके से दिवालिया करार दिया जा सकेगा। उन्होंने कहा, ‘कंपनी को दिवालिया करार दिलाने या फिर दिवालिया घोषित कराने में नाकामयाबी हाथ लगने पर उसे लिक्विडेट कराने का अधिकार सभी स्टेकहोल्डर को होगा। स्टेकहोल्डर में क्रेडिटर्स, फाइनेंशियल क्रेडिटर्स, ऑपरेशनल क्रेडिटर्स, वर्कमेन और एंप्लॉयीज शामिल होंगे।’ उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि अगर वर्कर्स या एंप्लॉयीज को महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है तो स्वाभाविक तौर पर माना जाएगा कि कंपनी वित्तीय मुश्किल में है। इसलिए एंप्लॉयीज कंपनी को दिवालिया करार दिए जाने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू करा सकते हैं। दास ने कहा, ‘अगर कंपनी को दिवालिया नहीं घोषित किया जा सकता है तो उसे बेचने की एप्लिकेशन दी जा सकती है।

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