नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता में संशोधन में मकान खरीदारों के हितों की रक्षा को उचित महत्व दिया गया है, जिससे घर खरीदने वालों को मदद मिलेगी। प्रमुख रियल स्टेट कारोबारियों द्वारा खरीदारों को फ्लैटों की डिलवरी नहीं किए जाने के कारण वे फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
केंद्र सरकार ने घर खरीदने वालों की मांगों का समाधान करने के लिए अध्यादेश पर विचार करने की बात कहते हुए अदालत से और समय मांगा। सरकार ने उन नए प्रस्तावों और संशोधनों के बारे में बताया जिनसे समाधान की प्रक्रिया पर सीधा असर होगा और सबके हित में अनुकूल होगा। सरकार ने कहा कि संशोधनों को अभी अधिसूचित नहीं किया गया है।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ही इस संहिता में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है जिसमें मुकदमा और अन्य न्यायिक प्रक्रिया सहित कार्पोरेट समाधान प्रक्रिया 330 दिन में पूरी करने और इसे समाधान योजना को सभी दावेदारों के लिये बाध्यकारी बनाने का प्रावधान है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी की पीठ को केन्द्र ने जेपी इंफ्राटेक लि. के खरीदारों के मामले की सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि अदालत को अंतिम संशोधन और इसके प्रभाव को देखना है। सरकार ने कहा कि यह मामला इस समय राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण में लंबित हैं और इस पर 22 जुलाई को सुनवाई होगी। पीठ ने इसके बाद इस मामले को एक अगस्त के लिये सूचीबद्ध कर दिया।
शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह ही कहा था कि अगर मकान खरीदारों की समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो वह जेपी इंफ्रा लि मामले में 21,000 से अधिक मकान खरीदारों के हितों की रक्षा के लिये संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है।
केन्द्र ने न्यायालय से कहा कि वह मकान खरीदारों की समस्याओं के समाधान के प्रस्ताव पर काम कर रही है और शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुरूप यूनिटेक के मकान खरीदारों से संबंधित लंबित मामले में 23 जुलाई को इसे पेश करेगी।
घर खरीदने वालों की ओर से अदालत में पक्ष रख रहे वकील ने चिता जाहिर करते हुए कहा कि जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के ऋणशोधन प्रक्रिया में जाने से उनकी उम्मीदों को धक्का लग सकता है, जिससे की उनके हितों को नुकसान पहुंचेगा।
घर खरीदने वालों के वकील ने यूनिटेक के घर खरीदने वालों के मामले का हवाला दिया जिसमें सरकार ने बंद परियोजनाओं का अधिग्रहण करने का संकेत दिया था। जेपी के मामले में भी उसी प्रकार की राहत की मांग की गई। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा के लिए समाधान तलाशने को कहा।