नई दिल्ली। नेस्ले इंडिया ने मंगलवार को सरकार से खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को कारखानों के पर्याप्त उत्पादन क्षमता का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए 75 प्रतिशत श्रमिकों के साथ काम करने की अनुमति देने का आग्रह किया। कंपनी का कहना है कि इसके बगैर माल की आपूर्ति में व्यवधान हो सकता है। मौजूदा समय में यह प्रमुख एफएमसीजी कंपनी टेक्नोलॉजी की मदद से उत्पादन क्षमता बढ़ाने की ओर ध्यान दे रही है और यह चिंता जताई है कि श्रमबल के कम उपयोग से कंपनी पर दबाव पड़ेगा और उसकी लागत में वृद्धि होगी। नेस्ले इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने पत्रकारों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कहा कि ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ दिशानिर्देशों के तहत, 100 प्रतिशत क्षमता का उपयोग संभव नहीं है और कंपनी उत्पादकता की जरूरतों को पूरा करने के लिए मशीन की मदद ले रही है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियां उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन अगर यह लंबे समय तक बना रहता है तो कंपनी पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) खाद्य प्रसंस्करण उद्योग पर बनी सीआईआई की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष, नारायणन ने कहा कि सीआईआई की ओर से खाद्य कंपनियों ने सरकार को ज्ञापन दिया कि नये कोरोना वायरस के संदर्भ में घोषित ‘ग्रीन’ और ‘आरेंज जोन’ में 75 प्रतिशत श्रमिकों के साथ काम करने की अनुमति दिया जाये। फिलहाल, अधिकांश स्थानों पर, 50 से 60 प्रतिशत कामगारों के साथ काम करने की अनुमति दी गई है। नेस्ले इंडिया, जो वर्तमान समय में भारत में आठ उत्पादन इकाइयां चलाती है, ने कहा कि उसके कामगार काम पर लौट रहे हैं। गोदामों में, जहां कंपनी के पास पर्याप्त संख्या में ठेका कर्मचारी हैं, पिछले कुछ हफ्तों में स्थिति में सुधार हुआ है। कंपनी ने कहा कि श्रमिकों के लिए ट्रकों और ई-पास की उपलब्धता में भी वृद्धि हुई है। नेस्ले इंडिया की निवेश योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर नारायणन ने कहा कि प्रस्ताव बरकरार हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सानंद में बनने वाली फैक्टरी के निर्माण का काम चल रहा है।