नई दिल्ली। स्विट्जरलैंड की कंपनी नेस्ले ने भारत में अपने तीन प्लांट में मैगी नूडल्स का उत्पादन शुरू कर दिया है और फूड टेस्टिंग लैबोरेट्रीज से मंजूरी मिलने के बाद इसे बाजार में फिर से पेश करेगी। नेस्ले, बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार ताजा उत्पादन में से नमूने परीक्षण के लिए मान्यता प्राप्त तीन लैबोरेट्रीज को भेजेगी।
गौरतलब है कि कुछ लैबोरेट्रीज में परीक्षण के दौरान मैगी में लेड और एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लुटामेट) निर्धारित सीमा से अधिक पाए जाने के बाद कंपनी को मैगी बाजार से हटाना और उत्पादन रोकना पड़ा था।
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तीन प्लांट में मैगी का उत्पादन शुरू
नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, हमने अपने तीन प्लांट नानजनगुड (कर्नाटक), मोगा (पंजाब) और बिचोलिम (गोवा) में उत्पादन शुरू किया है। उसने कहा, बंबई हाई कोर्ट के आदेश के अनुरूप हम ताजा माल के कुछ नमूने जांच के लिए हाई कोर्ट द्वारा नामित तीन मान्यताप्राप्त लैबोरेट्रीज में भेजेंगे। ताजा नमूनों को मंजूरी मिलने के बाद ही कंपनी उसे बाजार में बेचना शुरू करेगी।
कर्नाटक और गुजरात ने दी मैगी बिक्री की अनुमति
हाल में ही कर्नाटक और गुजरात सरकार ने नेस्ले की इंस्टेंट नूडल्स मैगी की बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाया है। राज्य सरकारों ने यह फैसला तीन प्रयोगशालाओं द्वारा मैगी के 90 सैंपल को क्लीन चिट देने के बाद लिया है। नेस्ले इंडिया ने दावा किया है कि उसके सभी मैगी नूडल्स के सैंपल ने तीन प्रयोगशालाओं के टेस्ट को पास कर लिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने नेस्ले इंडिया को 90 सैंपल की जांच मोहाली, जयपुर और हैदराबाद की अधिकृत प्रयोगशालाओं में कराने के निर्देश दिए थे। इस टेस्ट से पास होने के बाद नेस्ले ने कहा कि मैगी पूरी तरह से मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है।
कैसे शुरू हुआ मैगी विवाद
फूड सेफ्टी एवं ड्रग एडमिन्स्ट्रेशन एफडीए), उत्तरप्रदेश ने गोरखपुर के लैब में कराई जांच में पाया कि मैगी में भारी मात्रा में मोनोसोडियम ग्लूटामेट(एमएसजी) और लीड (सीसा) है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में वीके पाण्डेय नामक एफडीए के अफसर ने दो दर्जन मैगी के पैकेट की जांच में इसका खुलासा किया था। मैगी में मैगी में मोनोसोडियम ग्लूटामेट(एमएसजी) का उपयोग स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है।