नई दिल्ली। बांग्लादेश के अर्थशास्त्री और बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद युनूस का मानना है कि एशिया के देशों को पश्चिम मॉडल से अलग हट कर घरेलू स्थितियों के आधार पर अलग आर्थिक नीतियों पर काम करना जरूरी है जिसमें मुख्य जोर गांवों की अर्थव्यवस्थाओं को खड़ा करने पर हो। युनूस आज कोरोना संकट के बाद अर्थव्यवस्था पर असर को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से बात कर रहे थे।
मुहम्मद युनूस के मुताबिक कोरोना संकट ने समाज में फैली कुरीतियों को बाहर निकालकर सामने रखा है। जिसमें ग्रामीण मजदूरों और श्रमिकों की मुश्किलें सबके सामने आई हैं। उनके मुताबिक ग्रामीण श्रमिकों और मजदूरों को कभी भी इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं माना गया, वो असंगठित क्षेत्र के कामगार रहे हैं। ऐसे में कोरोना जैसे संकट के सामने आते ही उनकी स्थिति सबके सामने आ गई। युनूस के मुताबिक सरकारों को कोशिश करनी चाहिए की नीतियां इस तरह बने की इन श्रमिकों को शहरों की तरफ पलायन न करना पड़े। इसके लिए गावों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है, जिससे उनके लिए अवसर उनके आस पास ही उपलब्ध हो।
मुहम्मद युनूस के मुताबिक हम लोग आर्थिक मामलों में पश्चिमी देशों की तरह चलते हैं इसलिए गांवों पर या छोटे मजदूरों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। बेहतर टेलेंट होने के बावजूद सरकार उन्हें अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं मानती। सरकार को चाहिए की जहां लोग हों वहीं काम भी लाना चाहिए। उनके मुताबिक कोरोना संकट ने आर्थिक मशीन को रोक दिया है। लेकिन इसके साथ ही एक मौका भी दिया है जिससे कुछ नया किया जा सके। आपको कुछ अलग करना होगा जिससे समाज को पूरी तौर पर बदला जा सके। उनके मुताबिक हमें उसी दुनिया में क्यों वापस जाना चाहिए जहां की नीतियो की वजह से ग्लोबल वार्मिंग सहित की अन्य तरह की समस्याएं हैं।
मुह्म्मद युनूस को गरीबों का अर्थशास्त्री माना जाता है, उन्होंने गरीबों को बिना किसी जमानत के कर्ज देने की शुरुआत की थी। बांग्लादेश में उन्होने ग्रामीण बैंक की शुरुआत की। गरीबों के आर्थिक हितों के लिए काम करने की वजह से उन्हे नोबल पुरस्कार भी दिया गया है।