Highlights
- भारत का 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को 300 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य
- 300 अरब डॉलर के लक्ष्य में से करीब 40 प्रतिशत हिस्सा निर्यात का
नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को कहा कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों और आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए इसकी समीक्षा कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत के लिए अपार संभावनाएं हैं और सरकार रणनीतिक रूप से इसपर काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम हर तिमाही में पीएलआई की लगातार समीक्षा कर रहे हैं। ऐसा न केवल सुधार के इरादे से, बल्कि इसे और बेहतर बनाने के लिए भी किया जा रहा है।’’ चंद्रशेखर ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित इलेक्ट्रॉनिक्स शिखर सम्मेलन में कहा, ‘‘उदाहरण के लिए मैं इस बात पर पूरी तरह सहमत हूं कि कलपुर्जों और आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई की विस्तृत समीक्षा करने की जरूरत है।’’ वह इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण फर्म डिक्सन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन सुनील वाचानी के सुझाव का जवाब दे रहे थे कि पीएलआई योजना के तहत छोटे और मझोले इलेक्ट्रॉनिक घटक विनिर्माताओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
वहीं इससे पहले इसी महीने एक कार्यक्रम में राज्यमंत्री ने कहा था कि भारत के पास बड़े पैमाने पर निर्माण, प्रतिस्पर्धा, बड़े बाजार और सक्षम नीतियों का निर्माण कर अगले तीन-चार वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को 300 अरब डॉलर तक बढ़ाने का एक "अभूतपूर्व अवसर" है। उन्होंने कहा कि दुनिया कोविड-19 के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए अधिक विश्वसनीय स्रोतों की तलाश कर रही है और भारत के पास इस अवसर का लाभ उठाने के लिहाज से सभी प्रमुख तत्व हैं। मंत्री ने 'भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात और वैश्विक मूल्य श्रृंखला में हिस्सेदारी बढ़ाने' पर एक दृष्टि दस्तावेज भी जारी किया। इसमें चुनौतियों के साथ-साथ अवसरों के व्यापक पैमाने का उल्लेख किया गया है। इसमें भारत के लिए 2020-21 के मौजूदा 75 अरब डॉलर से 2025 तक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को 300 अरब डॉलर तक पहुंचने के संबंध में नीतिगत सुझाव दिया गया है। 300 अरब डॉलर के लक्ष्य में से करीब 40 प्रतिशत हिस्सा निर्यात का होगा।