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डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए और प्रोत्साहन की जरूरत, मौजूदा वित्त वर्ष में 1800 करोड़ लेनदेन होने का अनुमान

रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एचआर खान ने आज कहा कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने और नकदी विहीन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए और अधिक प्रोत्साहन की जरूरत है।

Edited by: Abhishek Shrivastava
Updated on: December 13, 2017 18:35 IST
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हैदराबाद। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एचआर खान ने आज कहा कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने और नकदी विहीन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए और अधिक प्रोत्साहन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद कुछ प्रोत्साहन दिए जा रहे थे।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद कुछ उतार-चढ़ाव आए पर डिजिटल लेनदेन एक साल पहले की अपेक्षा बढ़ गया था। विभिन्न स्तरों पर इस तरह के अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता थी। खान यहां इंस्टीट्यूट फोर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन ‘माइनिंग इंटेलीजेंस ऑन नॉलेज एक्सप्लोरेशन’ के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। 

उन्होंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था बेहतर है। उन्होंने कहा कि देश में नगदी-जीडीपी अनुपात 12 प्रतिशत था, जबकि अन्य विकासशील देशों में पांच से सात प्रतिशत है। डिजिटल अर्थव्यवस्था में नवाचार पर उन्होंने कहा कि फिनटेक कंपनियों और बैंकों को आपस में सहयोग करना चाहिए और दोनों को मिलकर काम करना चाहिए क्योंकि दोनों का सह-अस्तित्व होना चाहिए। 

मौजूदा वित्त वर्ष में 1800 करोड़ डिजिटल लेनदेन होने का अनुमान: अल्फोंस 

इलेक्ट्रोनिक्स व आईटी राज्यमंत्री के जे अल्फोंस ने कहा कि देश में डिजिटल भुगतान में तीव्र बढोतरी देखने को मिली है और ऐसे लेनदेन की संख्या अप्रैल से नवंबर के दौरान 1162 करोड़ रही। उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में 1800 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन होने की उम्मीद है। 

मंत्री ने कहा कि ऑनलाइन भुगतान व डिजिटल लेनदेन में यह वृद्धि तमाम आलोचकों की आशंकाओं के विपरीत है। उन्होंने कहा कि अनेक आलोचक थे जो कहते थे कि ऐसे देश में जहां 30 करोड़ लोग निरक्षर है वहां वे भुगतान आदि के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग कैसे करेंगे, आज आधार ने भारत में हर व्यक्ति को पहचान दी है।

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