शंघाई। भारत ने ब्रेक्जिट की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता से निपटने के लिए दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मिली-जुली वित्तीय, मौद्रिक एवं संरचनात्मक नीतियों को उचित ढंग से उपयोग में लाने की जरूरत बताई है।
नव विकास बैंक (एनडीबी) के गवर्नर बोर्ड की बैठक में अपने संबोधन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, सरकारों, केंद्रीय बैंकों और नियामकों को इस तरह की स्थिति के दबाव से निपटने के लिए बेहतर तरीके से राजकोषीय, मौद्रिक और बुनियादी नीतियों के मिले-जुले रूप का इस्तेमाल करना चाहिए।
जेटली का भाषण वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव राज कुमार ने पढ़ा। जेटली ने कहा कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के फैसले से अनिश्चितता और बाजार में उतार-चढ़ाव की आशंका बढ़ी है। कुमार ने एनडीबी की पहली सालाना आम सभा तथा गवर्नर बोर्ड की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जो कल शंघाई में हुई। मौजूदा संसद सत्र की वजह से जेटली इस बैठक में शामिल नहीं हो पाए।
चुनौतियों का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य मजबूत नहीं है और कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि की रफ्तार अपने निचले स्तर पर पहुंचने के बाद धीमी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि में गिरावट, वित्तीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव में वृद्धि और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष द्वारा वैश्विक वृद्धि के अनुमान में की गई कमी भी चुनौती पेश कर रही है।
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