नई दिल्ली। एनईसी कॉरपोरशन के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी एनईसी टेक्नोलॉजी इंडिया और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेस इंडिया लिमिटेड ने आज एक रणनीतिक गठबंधन की घोषणा की है, जिसके तहत यह दोनों मिलकर नई डिजिटल सेवाएं विकसित करेंगी और भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 90 करोड़ लोगों को ये सेवाएं प्रदान करेंगे। इस गठबंधन के हिस्से के तौर पर एनईसीटीआई ने तीसरा सबसे बड़ा शेयरहोल्डर बनने के लिए सीएससी एसपीवाय में इक्विटी निवेश करने का फैसला किया है।
एनईसी और सीएससी एसपीवाय ने सीएससी एसपीवाय में एक संयुक्त कार्य समूह भी बनाया है, ताकि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के लिए नई,खोजपरक डिजिटल सेवाएं विकसित की जा सकें। भारत में सीएससी(*) पर 470,000 से अधिक ट्रांजैक्शंस होते हैं, इस प्रकार सीएससी एआई और डाटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में एनईसी की विशेषज्ञता का उपयोग कर ऑफर पर सेवाओं को लॉन्च, रिफाइन कर सकेगा और सेवाओं की विविधता तथा क्षमता में सुधार कर सकेगा।
एनईसी टेक्नोलॉजीज इंडिया के प्रबंध निदेशक ताकायुकी इनाबा ने कहा कि आईसीटी समाधानों के अग्रणी प्रदाता के तौर पर हम सीएससी एसपीवाय के साथ जुड़कर खुश हैं, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों का डिजिटल सशक्तिकरण हो सके। इस रणनीतिक गठबंधन से हमारी खोजपरक प्रौद्योगिकी नए अवसर खोलेगी और नागरिकों,सीएससी ऑपरेटर्स तथा सीएससी एसपीवाय के महत्व में वृद्धि करेगी।
सीएससी एसपीवाय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार त्यागी ने कहा कि एनईसीटीआई के साथ जुड़कर हमें नागरिकों को विभिन्न सेवाएं देने में प्रौद्योगिकी की मदद मिलेगी, खासकर ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिये। शिक्षा, वित्तीय समावेश और टेलीमेडिसिन ऐसे क्षेत्र हैं, जहां खोजपरक प्रौद्योगिकी से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
एनईसीटीआई और सीएससी एसपीवाय ने इससे पहले साथ मिलकर अग्रणी भारतीय बैंकों के लिए काम किया है और ऐसे लोगों को वित्तीय समावेशन सेवाएं दी हैं, जो पारंपरिक बैंक शाखाओं और एटीएम के कवरेज से दूर हैं।
वर्ष 2017 में लॉन्च की गई यह वित्तीय समावेशन सेवा यूजर्स को बैंक ट्रांजैक्शंस करने की सुविधा देती है, जैसे सरकार से सब्सिडी लेना, जिसके लिये देश भर के सीएससी में बायोमेट्रिक स्कैन द्वारा पहचान का सत्यापन किया जाता है और दूर स्थित बैंक शाखा तक नहीं जाना पड़ता है।