मुंबई। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने जेट एयरवेज की ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) को चेतावनी दी है कि यदि दिवाला प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समाधान पेशेवर को 20 जनवरी तक अंतरिम कोष जारी नहीं किए गए तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हम एक बार फिर दोहराते हैं और सीओसी को निर्देश देते हैं कि वह समाधान पेशेवर की जरूरत के हिसाब से अंतरिम राशि जारी करे, जिससे कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) को पूरा किया जा सके और जेट की संपत्तियों का मूल्य कम नहीं हो।'
भास्कर पांतुला मोहन और राजेश शर्मा की एनसीएलटी की पीठ ने सीओसी को 20 जनवरी तक यह राशि देने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो चूक करने वाले सदस्यों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाएगी। न्यायाधिकरण ने सीओसी के उन सदस्यों को 19 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। एनसीएलटी ने इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) को निर्देश दिया है कि वह भुगतान से छूट के लिए सरकार से संपर्क करे। आईओबी चूंकि रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत है इसलिए वह न्यायाधिकरण में भुगतान से छूट के लिए अपील करने की प्रक्रिया में है।
समाधान पेशेवर ने एनसीएलटी को बताया था कि वह काफी दबाव में है क्योंकि कई सदस्य न्यायाधिकरण के आदेश के बावजूद राशि जारी नहीं कर रहे हैं। ऋणदाताओं ने सैद्धान्तिक रूप से समाधान पेशेवर को 63 करोड़ रुपए मंजूर किए है। प्रमुख बैंक भारतीय स्टेट बैंक और दो अन्य बैंकों ने अपने हिस्से की अंतरिम राशि पहले ही दे दी हैं ।