नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने शुक्रवार को फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर मोहन सिंह को अपने बड़े भाई मालविंदर सिंह और रेलिगेयर के पूर्व प्रमुख सुनील गोधवानी के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस लेने को मंजूरी दे दी।
एनसीएलटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एमएम कुमार की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को शिविंदर को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी। शिविंदर ने बयान में कहा, "एनसीएलटी ने उत्पीड़न और कुप्रबंधन की मेरी याचिका वापस लेने का अनुरोध को मान लिया है। यह याचिका मैंने अपना भाई मालविंदर और गोधवानी के खिलाफ दायर की थी। मैं अपने अनुरोध को स्वीकार करने के लिए अदालत का आभारी हूं।"
उन्होंने कहा, "मां और परिवार के बार-बार कहने के बाद मैंने याचिका वापस लेने का आग्रह किया। मालविंदर और मैं हमारे बीच के मुद्दों को हल करने के अंतिम प्रयास के रूप में मध्यस्थता प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं।" शिविंदर ने कहा कि मामला दर्ज करने का निर्णय बहुत भारी मन से और सावधानीपूर्वक सोच-विचार के बाद लिया गया था। वापस लेने का निर्णय भी उतनी की गंभीरता से लिया गया है।
मैंने ऐसा इसलिये किया क्योंकि मेरा पहला लक्ष्य समूह के दायची सैंक्यो और अन्य कर्जदाताओं के साथ जुड़े मुद्दों को पारदर्शी और रचनात्मक रूप से हल करना है। शिविंदर ने इससे पहले आरोप लगाया था कि उनके बड़े भाई तथा गोधवानी की गतिविधियों की वजह से कंपनियों तथा उनके शेयरधारकों के हित प्रभावित हुये हैं। हालांकि, रेलिगेयर के वकील, ने कहा कि सिंह बंधु पर कंपनी के पैसों में हेराफेरी करने का आरोप है। रेलिगेयर इस मामले में पक्षकार है।
रेलिगेयर की ओर से पेश वकील अभिनव वशिष्ठ ने कहा, "हम उनसे वह रकम वसूलना चाहते हैं।" इस पर एनसीएलटी ने कहा, "यदि आप कोई कार्यवाही शुरू करना चाहते हैं तो उसके लिये एक अलग आवदेन दें।’’ शिविंदर ने गुरुवार को कहा था कि मां की सलाह पर उन्होंने मालविंदर और गोधवानी के खिलाफ याचिका वापस लेने का फैसला किया है।