मुंबई। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने जेट एयरवेज के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के आवेदन को आगे कार्रवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। न्यायाधिकरण ने ग्रांट थॉर्नटन के आशीष छाछरिया को जेट एयरवेज के लिए समाधान पेशेवर नियुक्त किया है। जेट एयरवेज ने 17 अप्रैल से अपना परिचालन पूरी तरह से बंद कर दिया है।
वीपी सिंह और रविकुमार दुरईसामी वाली पीठ ने समाधान पेशेवर को निर्देश दिया कि वह समाधान प्रक्रिया को तीन माह की अवधि में पूरा करने की कोशिश करें। कानून के मुताबिक समाधान प्रक्रिया के लिए 6 माह का समय निर्धारित है। न्यायाधिकरण ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है इसलिए इसे तीन माह में निपटाया जाना चाहिए।
अपनी याचिका में एसबीआई ने जेट एयरवेज पर 967 करोड़ रुपए का दावा किया है और कहा है कि उसने एयरलाइन को 505 करोड़ रुपए कार्यशील पूंजी कर्ज के रूप में और 462 करोड़ रुपए की ओवरड्राफ्ट सुविधा उपलब्ध कराई थी।
हालांकि न्यायाधिकरण ने नीदरलैंड के वेंडर्स द्वारा हस्तक्षेप आवेदन दायर करने की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि जेट एयरवेज के दिवालियापन का आदेश देने के लिए डच जिला अदालत के पास कोई अधिकार नहीं है।
न्यायाधिकरण ने जेट एयरवेज के दो परिचालन कर्जदाताओं शमन व्हील्स और गग्गर एंटरप्राइजेज द्वारा दायर दिवालियापन याचिका को भी खारिज कर दिया। इन दोनों कंपनियों ने एयरलाइन पर क्रमश: 8.74 करोड़ और 53 लाख रुपए का दावा किया था और सबसे पहले इन्होंने ही 10 जून को एयरलाइन के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर की थी।