नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने बैंकों को भूषण स्टील लि. और भूषण स्टील एंड पावर लि. (BSPL) से कर्ज वसूली के लिए ऋण शोधन कार्रवाई शुरू करने की अनुमति बैंकों को दे दी है। इन कंपनियों ने कर्ज लौटाने में चूक की है। प्रमुख बैंकों SBI तथा PNB की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए NCLT ने अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) की नियुक्ति की और कंपनियों के प्रबंधन, अधिकारियों और प्रवर्तकों को कार्रवाई में उन्हें सहायता करने का निर्देश दिया।
NCLT ने विजय कुमार वी अयर को भूषण स्टील लि. के लिए तथा महेंद्र कुमार खंडेलवाल को भूषण स्टील एंड पावर लि. के लिए IRP नियुक्त किया। न्यायमूर्ति एमएम कुमार की अध्यक्षता वाली NCLT की पीठ ने कहा, कर्जदार कंपनी से जुड़े व्यक्तियों, उसके प्रवर्तक या प्रबंधन से जुड़ा कोई अन्य व्यक्ति IRP को हर संभव सहायता देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है।
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पीठ ने कहा कि आदेश का किसी प्रकार से उल्लंघन होने पर IRP को उपयुक्त आदेश प्राप्त करने के लिए इस न्यायाधिकरण के समक्ष आवेदन देने की आजादी होगी। भूषण स्टील के मामले में ऋण शोधन प्रक्रिया शुरू करने के लिये SBI ने आवेदन किया है। SBI बैंकों के समूह में प्रमुख बैक है। वहीं भूषण स्टील एंड पावर के मामले में पंजाब नेशनल बैंक ने याचिका दी है।
NCLT के याचिकाओं को स्वीकार किए जाने के बाद दिवाला एवं ऋण शोधन संहिता (IBC) 2016 के तहत समाधान योजना पर निर्णय के लिए 180 दिन की समय-सीमा है। SBI ने भूषण स्टील ने 4,295 करोड़ रुपए और विदेशी मुद्रा कर्ज के रूप में 49 करोड़ डॉलर की वसूली का दावा किया है।
NCLT ने SBI तथा PNB की तरफ से शुरू ऋण शोधन कार्यवाही के तहत 13 जुलाई को भूषण स्टील के साथ-साथ भूषण स्टील एंड पावर को नोटिस जारी किया। दोनों कंपनियों को अपना जवाब देने का निर्देश दिया गया है। दोनों याचिकाएं IBC, 2016 की धारा सात के तहत दायर की गयी हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधिकरण ने 19 जुलाई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
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अन्य कंपनियों के खिलाफ भी दिवाला एवं ऋण शोधन की कार्यवाही शुरू की गई है। इसमें इलेक्ट्रोस्टील तथा लैंको इंफ्राटेक, आलोक इंडस्ट्रीज एवं ज्योति स्ट्रक्चर्स शामिल हैं। ये उन 12 फंसे कर्ज के मामलों में शामिल है जिनकी पहचान रिजर्व बैंक (RBI) ने की है। बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति आठ लाख करोड़ रुपए से अधिक है। इसमें इन 12 खातों का योगदान एक चौथाई है। इस फंसे कर्ज में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी 6 लाख करोड़ रुपए है।