नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने मंगलवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी और कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका अल्पसंख्यक शेयरधारकों ने रिलायंस इंफ्राटेल द्वारा बकाया का भुगतान न करने के कारण दायर की थी।
एनसीएलएटी चेयरमैन जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने कहा कि यह पाया गया है कि इसमें कोई अवमानना का मामला नहीं बनता है इसलिए अनिल अंबानी और उनकी कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका खारिज की जाती है।
इससे पहले 3 जुलाई को एनसीएलएटी ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। रिलायंस इंफ्राटेल, आरकॉक की अनुषंगी है और वर्तमान में कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया के तहत है।
रिलायंस इंफ्राटेल द्वारा 230 करोड़ रुपए के भुगतान में चूक करने पर एचएसबीसी डैजी ने एनसीएलएटी में अवमानना याचिका दायर की थी। रिलायंस इंफ्राटेल, एचएसबीसी डैजी और अन्य के बीच एनसीएलटी के समक्ष हुए सशर्त समझौते के तहत अनिल अंबानी की कंपनी को छह माह के भीतर राशि का भुगतान करना था।
छह माह की अवधि बीत जाने के बाद भी भुगतान न होने पर एचएसबीसी डैजी और नौ अन्य अल्पसंख्यक शेयरधारकों, जिनकी रिलायंस इंफ्राटेल में 4.26 प्रतिशत हिस्सेदारी है, ने अवमानना याचिका दायर की थी। समाधान पेशेवर की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि आरकॉम दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है और वह आईबीसी के तहत मोराटोरियम पीरियड में है इसलिए वह धन का भुगतान नहीं कर सकती है।
इस साल मई में, एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने आरकॉम के लिए कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया को शुरू किया था, जिस पर कुल 50,000 करोड़ रुपए का बैंक ऋण बकाया है।