नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील न्यायाधीकरण (एनसीएलएटी) ने टाटा संस को पब्लिक लिमिटेड कंपनी से प्राइवेट कंपनी में परिवर्तित करने के मामले में स्टे देने से इनकार कर दिया। इसके अलावा एनसीएलएटी ने टाटा संस से कहा है कि जब तक मिस्त्री परिवार की याचिका सुनवाई के लिए लंबित है तब तक उनके ऊपर कंपनी के शेयर बेचने का दबाव न बनाया जाए। एनसीएलएटी ने टाटा संस के खिलाफ साइरस मिस्त्री की अपील को सुनवाई के लिए स्वीकृति भी प्रदान की है। एनसीएलएटी ने टाटा संस से 10 दिन में जवाब दाखिल करने को कहा है।
बेंच ने कहा है कि वह टाटा संस को प्राइवेट कंपनी में परिवर्तित करने के मामले पर अपना निर्णय बाद में सुनाएगी। एनसीएलएटी के चेयरपर्सन जस्टि एस जे मुखोपाध्याय के अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने मिस्त्री की अपील को स्वीकार करते हुए टाटा संस को 10 दिन के भीतर अपना जवाब देने का निर्देश दिया है।
एनसीएलएटी ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 सितंबर की तारीख तय की है। 14 अगस्त को एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। मिस्त्री ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधीकरण (एनसीएलटी) के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने कंपनी के चेयरमैन से हटाने के खिलाफ उनकी याचिका को रद्द कर दिया था।
पिछले साल सितंबर में, टाटा संस ने शेयरधारकों से अपने आप को पब्लिक लिमिटेड कंपनी से प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित करने की मंजूरी हासिल की थी। इस कदम का उद्देश्य साइरस मिस्त्री परिवार को कंपनी में अपनी हिस्सेदारी किसी बाहरी व्यक्ति को बेचने से रोकना है। पब्लिक लिमिटेड कंपनी में शेयरधारकों को वैध तरीके से अपनी हिस्सेदारी किसी भी बेचने की आजादी होती है, लेकिन एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के शेयरधारक किसी बाहरी निवेशक को अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच सकते हैं।