नई दिल्ली। नेशनल कमोडिटी एंड डेरीवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) ने गुरुवार को आगामी बजट के लिए अपनी अपेक्षाओं से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अवगत कराया है। एनसीडीईएक्स ने उम्मीद जताई है कि बजट-2020 में कृषि तथा कमोडिटी सेक्टर के प्रति अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
एनसीडीईएक्स ने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने के लिए सरकारी दूरदर्शिता के तहत किए गए विभिन्न सुधारों को अनुकूल बनाने, संवर्धित करने तथा उत्प्रेरित करने की क्षमता एफपीओ में है। इसलिए मंडी करों में छूट दी जानी चाहिए, जो उनके उत्पादनों की सामूहिक बिक्री को प्रोत्साहित करेगी और उन्हें बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बनाते हुए उनकी आय को बढ़ाने में सहायता करेगी।
एनसीडीईएक्स ने मांग की है कि केवल eNWR के सामने ही कृषि-ऋण दिए जाने के बारे में बैंकों को अध्यादेश जारी किए जाने चाहिए। उसे डब्ल्यूडीआरए द्वारा एक उचित ऋण गारंटी स्ट्रक्चर के साथ संवर्धित किया जाना, बैंकों के बीच आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और कृषि ऋण में वृद्धि होगी।
एनसीडीईएक्स का कहना है कि प्रोसेस्ड कृषि कमोडिटीज पर लगाया गया कमोडिटी लेनदेन कर (सीटीटी) ने बाजार प्रतिभागियों की प्रभावी लागत को बढ़ा दिया है। भारतीय कमोडिटी बाजार में अत्यधिक क्षमता है। कई कमोडिटीज के भारतीय भाव वैश्विक बाजार के लिए बेंचमार्क का कार्य कर सकते हैं इसलिए सरकार को सीटीटी नीति का पुनरावलोकन करना चाहिए। ताकि प्रभावी लागत कम कर बड़े हेजर्स और ट्रेडर्स की भागीदारी को आसान बनाया जा सके।
एनसीडीईएक्स ने मांग की है कि सरकार अपनी नियामक नीतियों में बदलाव करे ताकि एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर स्थितियां लेना आरंभ हो सके। इसके साथ ही ऋणी को न्यूनतम हेज की गई स्थिति और उनकी हेज स्थितियों को उजागर करने के लिए वचनबद्ध किया जाए, जिससे बैंकों पर एनपीए के भार को कम किया जा सकता है।
एनसीडीईएक्स ने कहा कि यदि इन प्रस्तावों पर विचार किया जाता है तो उम्मीद है कि संपूर्ण वैल्यूचेन तथा प्रतिभागियों में सकारात्मक भावना पैदा होगी और यह कमोडिटी बाजार को विकसित करने में सहायता प्रदान करेगी।