मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों को जिंस डेरिवेटिव के साथ शेयर बाजार में कामकाज करने के लिए एकल लाइसेंस देने का फैसला किया है। इसके बाद प्रतिभूति बाजार में कामकाज करने वाले ब्रोकर या क्लियरिंग सदस्य को अलग इकाई स्थापित किए बिना जिंस डेरिवेटिव्स में खरीद-बिक्री या सौदा करने की अनुमति होगी। साथ ही निवेशक 50,000 रुपए तक के म्यूचुअल फंड डिजिटल वॉलेट के जरिए खरीद सकेंगे।
चेयरमैन के रूप में अजय त्यागी की अध्यक्षता में निदेशक मंडल की पहली बैठक के बाद बयान में सेबी ने कहा कि इस एकीकरण के लिए नियामक शेयर ब्रोकर और प्रतिभूति अनुबंध नियमनों से संबंधित नियमों में संशोधन करेगा। शेयर बाजार और जिंस डेरिवेटिव बाजार में शेयर ब्रोकरों के एकीकरण से ट्रेडिंग और निपटान तंत्र, जोखिम प्रबंधन, निवेशक शिकायत निपटान आदि में तालमेल बनेगा। इससे निवेशकों, ब्रोकरों, शेयर एक्सचेंजों और सेबी को फायदा होगा।
डिजिलट वॉलेट के जरिये खरीद सकेंगे म्यूचुअल फंड
बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों को 50,000 रुपए तक के म्युचुअल फंड डिजिटल वॉलेट के जरिये खरीदने की अनुमति दी है। सेबी के निदेशक मंडल की आज यहां हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
इसेक अनुसार,म्युचुअल फंडों में प्रतिवर्ष 50,000 रुपए तक का निवेश ई-वॉलेट के जरिये किया जा सकेगा। हालांकि इस तरह के निवेश का विमोचन पॉलिसी धारक के बैंक खाते में ही होगा। इसके तहत ई-वॉलेट जारी करने वाली फर्म को म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए नकदी वापसी जैसे किसी प्रोत्साहन की पेशकश की अनुमति नहीं होगी।
इसी तरह नकदी, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग के जरिए ई-वॉलेट में डाली गई बकाया राशि का इस्तेमाल केवल म्यूचुअल फंड योजना के ग्राहकी के लिए ही किया जा सकेगा। इसी तरह क्रेडिट कार्ड, कैश बैक, प्रोत्साहन योजनाओं के जरिये डाली गई राशि से म्यूचुअल फंड ग्राहकी की अनुमति नहीं दी जाएगी। सेबी ने एक बयान में कहा है कि 50,000 रुपए की यह सीमा किसी एक म्यूचुअल फंड में किसी निवेशक द्वारा ई-वॉलेट, नकदी के जरिये किए जाने वाले कुल निवेश के लिए समग्र अंब्रेला सीमा है।