नई दिल्ली। कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति को देखते हुये गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने भारतीय रिजर्व बैंक से उन्हें मार्च 2021 तक उनके सभी तरह के कर्जदारों के लिये एकबारगी पुनर्गठन (One Time restructuring) की अनुमति देने का आग्रह किया है। एनबीएफसी का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण जारी लॉकडाउन की वजह से उनके सभी कर्जदारों के समक्ष वित्तीय संसाधनों की तंगी बनी हुई है। एनबीएफसी ने रिजर्व बैंक की ओर से किस्त भुगतान पर लगाई गई रोक की सुविधा का विस्तार करने की भी मांग की है। इसके साथ ही कर्ज के एवज में किये जाने वाले प्रावधान के नियमों तथा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के जरिये पुनर्वित सुविधा के तहत अतिरिक्त वित्तपोषण में भी राहत देने को कहा है। ये सभी सुझाव एनबीएफसी की रिजर्व बैंक के साथ सोमवार को हुई बैठक में दिये गये। इसकी जानकारी एनबीएफसी का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था वित्त उद्योग विकास परिषद (एफआईडीसी) ने दी है।
एनबीएफसी उद्योग की इस संस्था का कहना है कि उसके सभी ग्राहकों के नकदी प्रवाह में बाधा खड़ी हुई है। उनका नकदी लेनदेन का चक्र गड़बड़ाया हुआ है। सबसे ज्यादा परेशानी परिवहन परिचालकों, ठेकेदारों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के समक्ष खड़ी हुई है। एफआईडीसी ने यहां जारी एक वक्तव्य में कहा है कि हमारे ग्राहकों के नकदी प्रवाह की उम्मीद को देखते हुये कर्ज वापसी की समयसारिणी में संशोधन करने या फिर कर्ज अवधि का विस्तार अथवा समान मासिक किस्तों के पुनर्गठन की बात हो मार्च 2021 तक संपत्ति वर्गीकरण को प्रभावित किये बिना सभी कर्जों के लिये एकबारगी पुनर्गठन की सुविधा दी जानी चाहिये। रिजर्व बैंक ने वर्तमान में बैंकों और एनबीएफसी के एमएसएमई के मौजूदा कर्ज की दिसंबर 2020 तक एक बारगी पुनर्गठन की अनुमति दी है। एनबीएफसी का मानना है कि एक बार पुनर्गठन की ये सुविधा अन्य सभी तरह के कर्जदारों के लिये भी दी जानी चाहिये। एफआईडीसी ने कहा है कि तीन माह की किस्त से छूट दिये जाने से कर्जदारों को कुछ राहत मिली है लेकिन चौथे महीने से वह अपनी किस्त ब्याज का भुगतान करना शुरू कर देंगे ऐसा नहीं लगता है।