नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) का कहना है कि नेचुरल गैस का उत्पादन करना अब फायदे का व्यवसाय नहीं रह गया है क्योंकि सरकार ने गैस मूल्य का जो फॉर्मूला तय किया है, वह गैस की उत्पादन लागत से काफी कम है। कंपनी ने सरकार से गैस मूल्य फॉर्मूले में बदलाव किए जाने का आग्रह किया है।
केंद्र की भाजपा सरकार ने अक्टूबर 2014 में घरेलू गैस के लिए एक नया फॉर्मूला तय किया। यह फॉर्मूला अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस की अधिकता वाले देशों से होने वाले निवल आयात मूल्य के हिसाब से तय किया जाता है। इस फॉर्मूले के अमल में आने के बाद से अब तक नेचुरल गैस के दाम आधे रहकर 2.48 डॉलर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट रह गए हैं। सर्राफ ने कह कि देश में गैस का उत्पादन करने वालों को जो दाम दिया जा रहा है वह आयातित गैस के मूल्य का आधे से भी कम है।
ओएनजीसी ने सरकार से गैस मूल्य फॉर्मूले की समीक्षा का आग्रह किया है। फॉर्मूले में बदलाव की उम्मीद व्यक्त करते हुए सर्राफ ने कहा, यह मानने कि हमें कोई वजह नहीं लगती कि गैस मूल्य बढ़ाए नहीं जाएंगे। ओएनजीसी ने गैस का न्यूनतम मूल्य 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रखे जाने की मांग सरकार के समक्ष रखी है। ओएनजीसी देश की सबसे बड़ी गैस उत्पादक कंपनी है। देश में इस समय होने वाले कुल गैस उत्पादन सात करोड़ घनमीटर प्रतिदिन में 80 प्रतिशत उत्पादन ओएनजीसी करती है।