नई दिल्ली। मोदी सरकार ने अक्टूबर, 2014 में गैस की कीमतों को तय करने के नए फार्मूले को मंजूरी दी थी, जिसका असर अप्रैल में दिख सकता है। देश में नेचुरल गैस के दाम अप्रैल में 17 फीसदी घटकर 3.15 डॉलर प्रति यूनिट (एमएमबीटीयू) पर आ सकते हैं। हालांकि, इससे गहरे समुद्र में गैस खोजों का विकास करना आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं रह जाएगा।
अप्रैल में 3.15 डॉलर पर आ सकते हैं गैस के दाम
सूत्रों ने बताया कि 1 जनवरी, 2015 से 31 दिसंबर, 2015 की अवधि के स्टैंडर्ड कीमत के हिसाब से अप्रैल से सितंबर, 2016 की अवधि के लिए गैस के दाम 3.15 डॉलर प्रति यूनिट (एमएमबीटीयू) बैठेगी। अभी यह 3.82 डॉलर प्रति यूनिट है। नेट कैलोरिफिक मूल्य (सीवी) के हिसाब से गैस मूल्य मौजूदा 4.24 डॉलर प्रति यूनिट से घटकर 3.50 डॉलर प्रति यूनिट पर आ जाएगा।
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गैस की कीमत तय करने का नया फार्मूला
नेशनल डेमोक्रेटिक अलायन्स (राजग) द्वारा अक्टूबर, 2014 में मंजूर नए गैस मूल्य फार्मूला के अनुसार गैस मूल्यों का निर्धारण अद्र्धवार्षिक आधार पर किया जाता है। इसकी गिनती अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे सरप्लस गैस वाले देशों में रेट के क्वांटिटेटिव वजन के साथ औसत कीमत के आधार की जाती है। इसमें पिछले तीन महीने के पहले के 12 महीनों की भारांकिंत कीमतों को लिया जाता है।
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सूत्रों के मुताबिक सरकार ने आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) को सब्सिडी के जरिए होनेवाले नुकसान की भरपाई करने से छूट देने का फैसला किया है। केरोसिन और रसोई गैस की कीमतों पर सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल, एचपीसीएल और भारत पेट्रोलियम को होनेवाले नुकसान की भरपाई सरकार अपने खाते के अलावा जमीन से तेल और गैस निकालने वाली कंपनियों से करती है।