नयी दिल्ली। वैश्विक स्तर पर दाम में नरमी के साथ देश में प्राकृतिक गैस की कीमतों में अप्रैल से 25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड एक अप्रैल से छह महीने की अवधि के लिये गैस के दाम में कटौती कर करीब 2.5 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट कर सकती हैं। फिलहाल यह 3.23 डॉलर प्रति यूनट है। देश में उत्पादित गैस में इन दोनों कंपनियों की अच्छी-खासी हिस्सेदारी है।
सूत्रों के अनुसार, कठिन फील्डों से उत्पादित गैस के दाम भी मौजूदा 8.43 डॉलर प्रति यूनिट से कम कर 5.50 डॉलर प्रति यूनिट की जा सकती है। प्राकृतिक गैस के दाम हर छह महीने पर (एक अप्रैल और एक अक्टूबर) तय किये जाते हैं। प्राकृतिक गैस का उपयोग उर्वरक और बिजली उत्पादन में किया जाता है। साथ ही उसका उपयोग वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग के लिये सीएनजी और घरों में खाना पकाने की गैस में होता है।
बता दें कि, गैस की दर से जहां यूरिया, बिजली और सीएनजी की कीमतें तय होती हैं, वहीं इससे ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी गैस उत्पादकों की आय भी निर्धारित होती है। इससे पहले, प्राकृतिक गैस की कीमत में एक अक्टूबर को 12.5 प्रतिशत की कटौती की गयी थी। इसके तहत दर 3.69 डॉलर प्रति यूनिट से कम कर 3.23 डॉलर प्रति यूनिट किया गया। वहीं कठिन क्षेत्रों से उत्पादित गैस के लिये कीमत उच्चतम स्तर 9.32 डॉलर प्रति यूनिट से घटाकर 8.43 डॉलर प्रति यूनिट किया गया।
सूत्रों ने कहा कि दाम में कटौती से देश की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी ओएनजीसी की आय पर असर पड़ेगा। इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी भागीदार बीपी की आय भी प्रभावित हो सकती है जो दूसरे चरण में पूर्वी अपटीय क्षेत्र में केजी-डी6 ब्लाक में खोजे गये फील्ड से 2020 के मध्य से उत्पादन की योजना बनायी है।
गैस की कीमतों में कटौती से ओएनजीसी जैसी कंपनियों की आय कम होगी लेकिन इससे सीएनजी के दाम भी कम होंगे जिसका उपयोग कच्चे माल के रूप में प्राकृतिक गैस में किया जाता है। साथ ही घरों में पाइप के जरिये पहुंचने वाली रसोई गैस और उर्वरक तथा पेट्रोरसायन की लागतें भी कम होंगी। सूत्रों के अनुसार ओएनजीसी का गैस करोबार से आय और कमाई करीब 3,000 कम होगी। गैस के दाम में एक डॉलर प्रति यूनिट के बदालाव से यूरिया की उत्पादन लागत करीब 1,600 से 1,800 रुपए प्रति टन का बदलाव आता है। कीमत में कटौती से सरकार की सब्सिडी में 2020-21 की पहली छमाही में 800 करोड़ रुपए की कमी आएगी।