नई दिल्ली। जीएसटी परिषद संभवत: नेचुरल गैस को वस्तु एवं सेवा कर (GST) के तहत लाने का फैसला ले सकती है। इस उपाय से तेल एवं गैस क्षेत्र को कुछ राहत मिलेगी। फिलहाल कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन और प्राकृतिक गैस को इस नए अप्रत्यक्ष कर ढांचे में शामिल नहीं किया गया है। जीएसटी को एक जुलाई से लागू किया जा रहा है।
इसका मतलब है कि तेल एवं नेचुरल गैस उद्योग द्वारा अपने काम के लिए खरीदी जाने वाली विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लगेगा, जबकि तेल, गैस और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री और आपूर्ति पर पूर्व के टैक्स जैसे उत्पाद शुल्क और वैट लगना जारी रहेगा।
अन्य उद्योगों को जहां अपने कारोबार में इस्तेमाल किए जाने वाली वस्तु और सेवाओं पर चुकाए गए टैक्स के बदले में टैक्स में कटौती का फायदा मिलेगा पर प्राकृतिक गैस उद्योग को इस तरह का फायदा नहीं होगा। इससे इस उद्योग में फंसी हुई 25,000 करोड़ रुपए की लगातों पर चुकाए गए टैक्स का लाभ न मिलने से उन पर टैक्स का भारी बोझ होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जीएसटी को इस सोच के साथ लागू किया जा रहा है कि इसके क्रियान्वयन के बाद किसी उद्योग को नुकसान नहीं होगा। लेकिन एक ऐसा उद्योग भी है, जिसे एक जुलाई से राजस्व का नुकसान होगा। अधिकारी ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने यह मामला वित्त मंत्रालय के साथ उठाया है, जिससे सभी पांच छूट वाले उत्पादों को जीएसटी में जल्द से जल्द शामिल किया जा सके।