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ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म से आएंगे किसानों के अच्‍छे दिन, क्‍या गेम चेंजर बनेगा नेशनल एग्रीकल्‍चर मार्केट?

इतनी सारी परेशानियों और मुश्किलों के रहते क्‍या एक ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म भारतीय कृषि के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है, इस पर सवाल उठना लाजमी है।

Abhishek Shrivastava
Published on: April 16, 2016 8:44 IST
ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म से आएंगे किसानों के अच्‍छे दिन, क्या गेम चेंजर बनेगा नेशनल एग्रीकल्‍चर मार्केट?- India TV Paisa
ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म से आएंगे किसानों के अच्‍छे दिन, क्या गेम चेंजर बनेगा नेशनल एग्रीकल्‍चर मार्केट?

नई दिल्‍ली। भारत की सवा सौ करोड़ आबादी का 58 फीसदी हिस्‍सा आज भी जीवनयापन के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है। इसलिए यह महत्‍वपूर्ण भी है और जरूरी भी कि इस बड़ी आबादी को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में विशेषतौर पर जोड़ा जाए। सरकार ने नवीनत टेक्‍नोलॉजी का अधिक से अधिक लाभ कृषि और किसानों को लाभ पहुंचाने की पहल शुरू की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को किसानों के लिए ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म नेशनल एग्रीकल्‍चर मार्केट (eNAM) को लॉन्‍च किया है। सरकार का दावा है कि इसकी मदद से भारतीय कृषि सेक्‍टर में एक नई क्रांति आएगी और 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने में यह पहल बड़ी मदद करेगी। इसमें एक शंका है। किसानों को अच्‍छे किस्‍म के बीज नहीं मिल रहे हैं, उर्वरक की उपलब्‍धता सुनिश्चित नहीं है, सिंचाई की व्‍यवस्‍था पर्याप्‍त नहीं है, फसलों का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य उत्‍पादन लागत से कम है, भंडारण व्‍यवस्‍था दुरुस्‍त नहीं है, बिचौलियों और व्‍यापारियों की सांठगांठ, इतनी सारी परेशानियों और मुश्किलों के रहते क्‍या एक ई-कॉमर्स प्‍लेटफॉर्म भारतीय कृषि के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है, इस पर सवाल उठना लाजमी है।

आठ राज्‍यों की 21 मंडियां हुई ऑनलाइन

शुरुआत में नेशनल एग्रीकल्‍चर मार्केट प्‍लेटफॉर्म पर आठ राज्‍यों की 21 थोक मंडियों को जोड़ा गया है। भारतीय किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए एक नए तरह का बाजार उपलब्‍ध कराया गया है। दावा किया जा रहा है कि इसके जरिये किसान अधिक पारदर्शी तरीके से अपरी उपज की ज्‍यादा अच्‍छी कीमत हासिल कर सकते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि यह नई पहल भारतीय कृषि और किसानों के लिए खेल बदलने वाली है, लेकिन इसकी सफलता के अभी से दावे करना सही नहीं होगा।

क्‍या है नेशनल एग्रीक्‍लचर मार्केट

एग्रीकल्‍चर ई-ट्रेडिंग प्‍लेटफॉर्म (eNAM) एक ही छत के नीचे 585 नियमित थोक मंडी या कृषि उपज बाजार समिति को लेकर आएगा। अभी तक किसान केवल अपनी नजदीकी मंडी में ही अपनी उपज की बिक्री कर सकता है, जहां बिचौलिए मोलभाव करते हैं और किसानों को बाजार की कीमतों की सही जानकारी ही नहीं होती है। ऐसे में बिचौलियों द्वारा उनकी फसल औने-पौने दाम पर खरीद ली जाती है। लेकिन इस नए प्‍लेटफॉर्म की मदद से कोई भी किसान पूरे देश में अपनी फसल को किसी भी बेच सकता है और अपनी उपज का अधिकतम मूल्‍य हासिल कर सकता है।

कौन से राज्‍य और जिंस हैं इसमें शामिल

पहले चरण में इस इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफॉर्म से आठ राज्‍यों को जोड़ा गया है। इनमें गुजरात, तेलंगाना, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। इस प्‍लेटफॉर्म पर अभी 25 जिंसों की ऑनलाइन बिक्री की जा सकती है और इस प्‍लेटफॉर्म से अभी तक 21 थोक मंडियों को जोड़ा गया है, जहां किसान अपनी उपज को सीधे थोक खरीदार को बेच सकते हैं। इन 25‍ जिंसों में चना, कैस्‍टर सीड, धान, गेहूं, मक्‍का, हल्‍दी, प्‍याज, सरसों, महुआ फूल, इमली आदि शामिल हैं।

eNAM के गेमचेंजर बनने पर यह हैं सवाल

दावा: कृषि उत्‍पादों की खरीद-बिक्री में बिचौलियों की भागीदारी नहीं होगी, जिससे किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी।

सवाल: यह कौन तय करेगा कि इस प्‍लेटफॉर्म पर खरीदार बिचौलिया नहीं है। बिचौलियों को रोकने के लिए सरकार ने क्‍या व्‍यवस्‍था की है?

दावा: खरीदारों के लिए खरीद लागत कम होगी, वहीं किसानों को कई मंडी-शुल्‍कों से राहत मिलेगी।

सवाल: दिल्‍ली का व्‍यापारी यदि उत्‍तर प्रदेश के किसान से फसल खरीदेगा तो उस फसल की ट्रांसपोर्टेशन लागत कौन वहन करेगा। किसानों के पास भंडारण की अपनी व्‍यवस्‍था नहीं है, तो वह फसल न बिकने तक उसे कहां रखेगा?

दावा: खरीदार और विक्रेता के लिए गुणवत्‍ता जांच प्रक्रिया लाई जाएगी।

सवाल: उत्‍पाद की गुणवत्‍ता जांच का खर्च कौन वहन करेगा?

बिजली और इंटरनेट की स्थिति

अभी भी बहुत से गांव ऐसे हैं जहां बिजली नहीं है और बहुत सी पंचायतों तक इंटरनेट कनेक्‍टीविटी नहीं पहुंची है, ऐसे में दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले किसानों को इस प्‍लेटफॉर्म का कैसे फायदा पहुंचेगा, यह समझ से बाहर है। इतना ही नहीं अभी भारत की अधिकांश ग्रामीण आबादी डिजिटल साक्षर नहीं है, ऐसे में किसानों द्वारा इस प्‍लेटफॉर्म के सही ढंग से उपयोग करने पर भी सवाल उठता है।

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