मुंबई। संकट में घिरे जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल अपना पद छोड़ने पर सहमत हो गए हैं, क्योंकि एयरलाइन को कर्ज देने वाले संस्थान संकट से उबारने के लिए उसकी अधिकांश हिस्सेदारी के अधिग्रहण की तैयारी कर रहे हैं। एक सूत्र ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
जेट एयरवेज की कॉरपोरेट मामलों और जनसंपर्क विभाग की उपाध्यक्ष रागिनी चोपड़ा ने इस बाबत संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें घटनाक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
कर्जदाताओं की गोयल और एतिहाद एयरवेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) टोनी डॉगलस के साथ तत्काल बैठक के एक दिन बाद यह ताजा घटनाक्रम सामने आया है। दोनों प्रवर्तकों एवं कर्जदाताओं और एतिहाद के बीच विभिन्न मुद्दों को सुलझाने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया था।
गल्फ की एयरलाइन एतिहाद की जेट एयरवेज में 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है। गोयल ने 25 साल पहले मुंबई में जेट एयरवेज की स्थापना की थी।
जेट एयरवेज को लोन देने वाले बैंकों के कंसोर्टियम का नेतृत्व भारतीय स्टेट बैंक कर रहा है। 14 फरवरी को जेट एयरवेज के बोर्ड ने बैंक के नेतृत्व में प्रोविजनल रिजोल्यूशन प्लान (बीएलपीआरपी) को मंजूरी दी है, जिससे कर्जदाता जेट एयरवेज में सबसे बड़े हिस्सेदार बन जाएंगे।