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नरेंद्र तोमर ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है और उद्यमियों से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने की अपील की है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: March 05, 2021 23:28 IST
नरेंद्र तोमर ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया- India TV Paisa
Photo:PTI

नरेंद्र तोमर ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया

नयी दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है और उद्यमियों से खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने की अपील की है। एक सरकारी बयान के अनुसार कृषि मंत्री शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एसोचेम और इन्वेस्ट इंडिया के साथ साझेदारी में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा आयोजित 'मध्य प्रदेश में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण अवसर' पर एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। तोमर खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भी हैं। उन्होंने उद्यमियों को देश में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार हर संभव सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि सरकार खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं को शीघ्र मंजूरी दे रही है। 

बयान में कहा गया, "केंद्रीय मंत्री ने खेती के क्षेत्र में निजी निवेश और नवीनतम तकनीक लाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।" तोमर ने कहा कि सरकार छोटे किसानों की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। मंत्री ने कहा कि देश में 86 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं। उन्होंने कहा कि गांवों की आत्मनिर्भरता और कृषि क्षेत्र के विकास की कल्पना उनके सशक्तिकरण के बिना नहीं की जा सकती। तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार प्रयास है कि छोटे और मझोले किसान भी महंगी फसलों की खेती कर सकें, और वैश्विक गुणवत्ता मानकों की फसलों का उत्पादन करने के लिए कृषि-प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त कर सकें। 

उन्होंने कहा कि आत्मानिभर भारत पैकेज के तहत, कृषि आधारभूत ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो गाँवों में शीत भंडारगृह और गोदामों जैसी बुनियादी सुविधाओं को लाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की स्थापना कर रही है, जिसका अनुमानित खर्च 6,880 करोड़ रुपये है। एफपीओ में शामिल होने से किसानों को कम लागत, बेहतर बाजार और एकीकृत सिंचाई सुविधा का लाभ मिल सकता है। एफपीओ को ऋण के लिए ब्याज में तीन प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

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