नई दिल्ली: सोमवार को दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल (Angela Merkel) की मीटिंग से यूरोपियन यूनियन के साथ कई सालों से अटके भारत के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) का रास्ता जल्द खुलने की उम्मीद बढ़ा दी है। इस साल अप्रैल में पीएम मोदी ने जर्मनी का दौरा किया था। पांच माह बाद ही जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल भारत दौरे पर हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएम मोदी के इस साल के अंत तक यूरोप के तीन दौरे और प्रस्तावित हैं। इससे लगता है कि भारत अपने सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर के साथ जल्द से जल्द एफटीए पर बातचीत कर इसे लागू करना चाहता है। यूरोप रिन्यूएबल एनर्जी में टेक्नोलॉजी संपन्न है, जो भारत की ग्रीन एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने में एक बड़ी सहयोगी भूमिका निभा सकता है। इतना ही नहीं भारत में यूरोपीय देशों का निवेश भी बहुत ज्यादा है और मोदी के मेक इन इंडिया को जो निवेश की आवश्यकता है, वह भी यूरोप से ही पूरी होगी। इस लिहाज से जर्मनी चांसलर एंजेला मार्केल का यह दौरा भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडी में ईयू अध्ययन केंद्र के चेयरमैन प्रो. गुलशन सचदेवा का कहना है कि
यूरोपयिन यूनियन में जर्मनी के साथ भारत की ट्रेड और इन्वेस्टमेंट पार्टनशिप महत्वपूर्ण है। एफटीए पर भारत-ईयू समिट 2012 के बाद से नहीं हुई है। इस साल यूरोप में यह बैठक होगी, जिसमें पीएम मोदी भाग लेंगे। इससे पहले यूरोप के प्रमुख ताकतवर देश जर्मनी के साथ अपनी दोस्ती को मजबूत करना एक कारगर कदम साबित होगा। यूरोपियन यूनियन में जर्मनी का दबाव पिछले कुछ समय में बढ़ा है और यह एक ताकतवर देश बनकर उभरा है। भारत की योजना फ्रांस, यूके और जर्मनी से दोस्ती मजबूत कर यूरोपियन यूनियन के साथ एफटीए को जल्द से जल्द लागू करवाना है। इस दौरे से यह योजना सफल होती नजर आ रही है।
रिन्यूएबल एनर्जी व ग्रीन कॉरीडोर के लिए जर्मनी देगा दो अरब यूरो की मदद
जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने भारत के साथ कुल 18 एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत डिफेंस, स्मार्ट सिटी, रिन्युएबल एनर्जी,गंगा सफाई अभियान, एविशन, सोलर एनर्जी, वेस्ट मैनेजमेंट, एग्रीकल्च्रर और एजुकेशन सेक्टर पर समझौते हुए हैं। इसके साथ ही जर्मनी भारत को ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर के विकास और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एक-एक अरब यूरो की सहायता भी देगा।
(Source: जर्मनी में भारतीय दूतावास। 2015 के लिए डाटा जून तक का है)
मेक इन इंडिया पर नजर
यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी अपने व्यापार को भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के साथ बढ़ाना चाहती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत जर्मनी का प्रमुख फोकस डिफेंस इंडस्ट्री में सहयोग बढ़ाने पर है।
(Source: जर्मनी में भारतीय दूतावास। 2015 के लिए डाटा जून तक का है)
मोदी को मार्केल से उम्मीद
जर्मनी लंबे समय से यूरोप का दिल बना हुआ है। यहां 75 फीसदी श्रमिक कुशल हैं, वहीं भारत में कुशल श्रमिक सिर्फ 2.2 फीसदी हैं। ऐसे में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत को जर्मनी से काफी मदद मिल सकती है। मार्केल के साथ मजबूत दोस्ती मोदी के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
(Source: जर्मनी में भारतीय दूतावास। 2015 के लिए डाटा जून तक का है)
मेक इन इंडिया की मार्केटिंग रही सफल
इस साल अप्रैल में पीएम मोदी ने भी जर्मनी का तीन दिवसीय दौरा किया था। वहां उन्होंने मेक इन इंडिया का खूब प्रचार किया और जर्मन कारोबारियों को भारत में निवेश का न्यौता भी दिया। मोदी की इस मार्केटिंग का भारत को फायदा भी हुआ। जर्मनी की इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग कंपनी ThysenKrupp भारत में भारतीय नौ सेना के लिए सबमरीन का निर्माण कर रही है। सीमेंस एजी भी भारत में एक अरब यूरो के निवेश के साथ उपस्थित है। यूरोपियन यूनियन में जर्मनी वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है।