नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अर्थव्यवस्था में सुस्ती को लेकर आलोचना करने वालों को जमकर जवाब दिया। विज्ञान भवन में आयोजित इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज के गोल्डन जुबली कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है कि भारत की जीडीपी घटकर 5.7 प्रतिशत पर आई हो। एक तिमाही में आर्थिक वृद्धि कमजोर पड़ने से निराशावादियों में उत्साह है। उन्हें निराशा फैलाने में मजा आता है।
संप्रग सरकार के कार्यकाल में जीडीपी वृद्धि दर आठ बार 5.7 प्रतिशत या इससे नीचे गई, जब देश के सामने ऊंची मुद्रास्फीति, चालू खाते का घाटे व राजकोषीय घाटे जैसी चुनितियां थीं। मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम के समय में हम न तो जी-8 या जी-20 में नहीं थे लेकिन फ्रेगाइल-5 में जरूर थे। ये कैसे हुआ जब बड़े-बड़े अर्थशास्त्री वहां थे। उन्होंने यह स्वीकार किया वर्तमान जीडीपी में गिरावट आई है और वह स्वयं कोई अर्थशास्त्री नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक है। जून के बाद कारों की बिक्री, वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री और ट्रैक्टर की बिक्री में इजाफा हुआ है। पिछली सरकार में मुद्रास्फीति जीडीपी वृद्धि से अधिक थी, उस समय ऊंची महंगाई, राजकोषीय घाटा तथा चालू खाते का घाटा सुर्खियां बनते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि दहाई अंक तक पहुंची मुद्रास्फीति घटकर तीन प्रतिशत से कम रह गई है, चालू खाते का घाटा कम होकर 2.5 प्रतिशत रह गया और राजकोषीय घाटा कम होकर 3.5 प्रतिशत पर आ गया।
मोदी ने यह आश्वासन दिया कि सरकार ऐसे कदम उठाएगी जिससे देश विकास के नए पथ पर अग्रसर होगा। जीएसटी की वजह से कारोबार में आई परेशानी पर मोदी ने कहा कि उन्होंने जीएसटी परिषद ने कारोबारियों की परेशानियों की समीक्षा करने के लिए कहा है। सरकार जीएसटी में किसी भी तरह की अड़चन को दूर करने के लिए बदलावों को तैयार है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है, वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए सुधार प्रक्रिया जारी रहेगी। नोटबंदी का बचाव करते हुए मोदी ने कहा कि इससे यह साबित हुआ है कि देश कम नगदी के साथ आराम से चल सकता है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से कालेधन पर लगाम कसी है, जो देश को दीमक की तरह चाट रहा था। मोदी ने कंपनी सचिवों से कहा कि उनकी ईमानदारी वाली सलाह देश के कॉरपोरेट गवर्नेंस में बड़ा बदलाव ला सकती है। उन्होंने कहा कि यह कंपनी सचिवों का कर्तव्य है कि वह लोगों को सही रास्ता दिखाएं।