नई दिल्ली। जरा सोचिए कि आप अपनी छत पर खड़े हुए पतंग उड़ा रहे है तभी पुलिस आपसे पतंग उड़ाने का लाइसेंस मांगे तो और नहीं होने पर कार्रवाई करना शुरू कर दें। ऐसे में आपको हैरानी होगी कि ये कैसा कानून है। लेकिन ये असलियत है कि आजादी के 6 दशक बाद भी इस तरह के कानून अस्तित्व में बने हुए थे जबकि मौजूदा दौर में ये अपना औचित्य खो चुके हैं। ऐसे तमाम कानूनों को सरकार एक-एक कर खत्म कर रही है। आइए जानते है देश के कुछ अजब-गजब कानून के बारे में…
पतंगबाजी के लिए परमिट
80 साल पहले इंडियन एयरक्रॉप्ट ऐक्ट 1934 बनाया गया था। इसके तहत कानूनी प्रावधान किया गया था कि पतंगबाजी के लिए भी परमिट लेना होगा। यानी जिस तरह से प्लेन उड़ाने के लिए परमिट की जरूरत है उसी तरह से पतंगबाजी के लिए भी परमिट लेना होगा। अगर कोई बिना परमिट के पतंग उड़ाता है तो वह कानून का उल्लंघन है और कोई अगर इस तरह की पतंगबाजी में शामिल है या फिर पतंगबाजी उत्सव में शामिल होता है तो वह इंडियन एयरक्रॉफ्ट ऐक्ट का उल्लंघन माना जाएगा।
सिक्का या नोट गिरा हुआ मिले तो अथॉरिटी को बताएं
10 रुपए के नोट को लेकर बना कानून हैरान करने वाला है। अगर सड़क पर 10 रुपए गिरे मिले तो उसके बारे में अथॉरिटी को बताना जरूरी है, नहीं तो कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया। ट्रेजर ऐक्ट में लिखा है कि यदि कोई 10 रुपये या ज्यादा की रकम गिरी हुई पाता है तो इसकी सूचना तुरंत आधिकारिक अथॉरिटी को दे।
गंगा में नाव चलाने के लिए दो आने का टैक्स
गंगा में बोट से फेरी लगाने वालों को टैक्स देना होता था। गंगा टोल ऐक्ट 1867 में टैक्स का प्रावधान किया गया था।
इंस्पेक्टर के दांत की सफाई का कानून
100 साल पुराना एक ऐसा कानून भी है, जिसके तहत ट्रैफिक इंस्पेक्टर को दांत की सफाई करना अनिवार्य था यानी दांत चमचमाते होने चाहिएं। एमवी ऐक्ट 1914 में आंध्र प्रदेश में ये कानूनी प्रावधान किया गया था कि इंस्पेक्टर को अपने दांत की चमक बरकरार रखनी है और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो वे अयोग्य माने जाएंगे।
होटल में रूम रिजर्व रखने का कानून
दिल्ली होटल कंट्रोल ऑफ एकॉमडेशन ऐक्ट 1949 के तहत होटल को सरकारी मेहमानों के लिए 20 फीसदी कमरे रिजर्व रखने का प्रावधान बनाया गया था। वहीं घोड़ा गाड़ी के रेग्युलेशन के लिए कानून बनाया गया कि घोड़ा गाड़ी चलाने के लिए उसका लाइसेंस लेना जरूरी है। मद्रास कंपलसरी लेबर ऐक्ट 1858 में प्रावधान है कि जबरन लेबर कराया जा सकता है। लेकिन संविधान के तहत ये कानून अवैध है क्योंकि जबरन श्रम नहीं कराया जा सकता।
पुराने पड़े 1200 कानून खत्म हुए, 1824 और खत्म किए जाएंगे
पिछली सरकारों ने 65 साल में सिर्फ 1,301 पुराने और व्यर्थ कानूनों को खत्म किया था, जबकि मौजूदा सरकार तीन साल में ही 1200 एक्ट खत्म करने जा रही है, जबकि 1,824 अप्रचलित केंद्रीय अधिनियमों को पुर्नविचार के लिए चिन्हित किया गया है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में कहा था कि मोदी सरकार आने के बाद मई, 2014 से अगस्त, 2016 के बीच 1,175 ऐसे पुराने कानूनों को हटाया जा चुका है, जिनका अब कोई औचित्य नहीं रह गया था। प्रसाद ने कहा था कि मोदी सरकार ने ऐसे 1,824 केंद्रीय कानूनों की पहचान की, जिनका अब उपयोग नहीं रहा है और ये बेकार पड़ हुए हैं। उनके अनुसार कानूनों की जांच के लिए गठित की गई समिति की सिफारिश पर मिनिस्ट्री से मंजूरी मिलने के बाद सरकार 1174 कानून निरस्त कर चुकी है।