नई दिल्ली। कोरोना वायरस से बचने के लिए इसके वैक्सीन का इंतजार सभी को बेसब्री से है। दुनियाभर की तमाम बड़ी फार्मा कंपनियां कोरोना वैक्सीन पर काम कर रही है और इनके अभी तक के नतीजे भी उत्साहजनक हैं। लेकिन कोरोना वैक्सीन की कीमत और उपलब्धता को लेकर सरकारों से लेकर आम जनता तक के बीच चिंता गहराई हुई है। भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने कहा है कि जब कोरोना वैक्सीन बाजार में उपलब्ध होगी, तब देश के हर नागरिक को इसे मुफ्त में उपलब्ध कराया जाना चाहिए, किसी से भी इसके लिए पैसे नहीं लिए जाने चाहिए।
इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने कहा कि सरकार चाहे तो वैक्सीन खरीदने के लिए कॉरपोरेट जगत पर टैक्स लगा सकती है, लेकिन आम लोगों को यह वैक्सीन मुफ्त में ही उपलब्ध करानी चाहिए। कोरोना संकट के दौरान नारायण मूर्ति का ये बयान काफी अहम माना जा रहा है।
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए बिहार चुनाव के दौरान भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था, जिसके तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी को कोविड-19 का टीका मुफ्त में उपलब्ध कराने का वादा किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि जो कंपनियां दवा की लागत का खर्च उठा सकती हैं, उन्हें दवा मुफ्त में बनाकर लोगों को देनी चाहिए और अपनी सामाजिक जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए।
नारायण मूर्ति का ये बयान उस समय आया है, जब मॉर्डर्ना और फाइजर कंपनियां दो डोज वाली अपनी दवाएं बाजार में पेश करने वाली हैं। आंकडो़ं के हिसाब से देखा जाए तो देश की पूरी आबादी का टीकाकरण करने के लिए सरकार को करीब 3 अरब डोज की जरूरत पड़ेगी। लेकिन अब कई राज्यों में कोरोना की दूसरी लहर आने की आशंका में राज्य सरकारों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
कोविड-19 टीके पर शोध के लिए 900 करोड़ रुपये अनुदान की घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 नंवबर को कोविड-19 के टीके पर शोध के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग को 900 करोड़ रुपये अनुदान देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि अनुदान के दायरे में टीके की वास्तविक लागत और वितरण का खर्च शामिल नहीं है। टीका उपलब्ध होने पर इसके लिए अलग से प्रावधान किया जाएगा। सीतारमण ने कहा कि घरेलू रक्षा उपकरण, औद्योगिक प्रोत्साहन, अवसंरचना और हरित ऊर्जा के लिए पूंजीगत एवं औद्योगिक व्यय के लिए 10,200 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजटीय आवंटन का भी प्रावधान किया जाएगा।