नई दिल्ली। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने मंगलवार को बताया कि 31 मार्च 2021 को समाप्त वित्तवर्ष में उसका कुल लेनदेन 24 प्रतिशत बढ़कर 6.5 लाख करोड़ रुपए की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2019-20 में बैंक का कुल लेनदेन 5.32 लाख करोड़ रुपये रहा था। नाबार्ड के अध्यक्ष जी आर चिंताला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2020-21 में, हमने शानदार प्रदर्शन किया है। वर्ष के दौरान हमारा कुल कारोबार 6.57 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह एक साल पहले के मुकाबले 23.5 प्रतिशत की वृद्धि रही है। यह अब तक का रिकार्ड उच्च स्तर है।”
चिंताला ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2021 -22 के लिए, हमने अपनी बैलेंस शीट का आकार 7.5 लाख करोड़ रुपये आंका है।’’ उन्होंने कहा कि समाप्त वित्त वर्ष के दौरान बैंक की उधारी 2.06 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.18 लाख करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2021- 22 के लिए उसकी बाजार से 3.7-3.9 लाख करोड़ रुपये के करीब उधार लेने की योजना है। बैंक का ऋण और अग्रिम 4.81 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 6.03 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो वर्ष 2019-20 के मुकाबले 25 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि है। इसके द्वारा किया गया कुल पुनर्वित्त संवितरण 2.23 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2019-20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, नाबार्ड ने सहकारी बैंकों को 16,800 करोड़ रुपये, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को 6,700 करोड़ रुपये और एनबीएफसी-एमएफआई को एक विशेष तरलता सुविधा (एसएलएफ) के माध्यम से 2,000 करोड़ रुपये वितरित किये। नाबार्ड ने कृषि और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 65,746 करोड़ रुपये वर्ष 2020-21 में वितरण किया। यह संवितरण ग्रामीण आधारभूत ढांचा विकास कोष (27,831 करोड़ रुपये), नाबार्ड बुनियादी ढांचा विकास सहायता (7,506 करोड़ रुपये), दीर्घावधिक सिंचाई कोष (7,761 करोड़ रुपये), प्रधानमंत्री आवास योजना - ग्रामीण (20000 करोड़ रुपये), लघु सिंचाई कोष (1,827 करोड़ रुपये) और वेयरहाउस इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (825 करोड़ रुपये) के लिए किये गये। वर्ष 2020-21 के दौरान, नाबार्ड ने 394 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा दिया और 38.41 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता प्रदान की जिससे 244.40 करोड़ रुपये का संचयी अनुदान समर्थन दिया गया।