नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के निर्देशों के अनुरूप मैगी नूडल्स के सैंपल की जांच अब मैसूर स्थित सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट लैब में की जाएगी। इससे पहले एनसीडीआरसी ने 10 दिसंबर को मैगी नूडल्स के 16 और नमूनों को परीक्षण के लिए चेन्नई स्थित लैब में भेजा था ताकि कथित अनुचित व्यापार व्यवहार के आरोप में कंपनी के खिलाफ सरकार के 640 करोड़ रुपए के दावे के संदर्भ में मैगी में सीसे और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) की मात्रा का पता लगाया जा सके।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की पीठ ने कहा कि सुनवाई के दौरान आयोग और नेस्ले इस बात पर सहमत थे कि मुख्य सरोकार स्वास्थ है ओर खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून, 2006 के मानदंडों के अनुरूप परीक्षण होने हैं।
पीठ ने कहा कि इस बात पर सहमति हुई कि मैसूर की प्रयोगशाला सभी प्रकार के परीक्षणों के लिए सुसज्जित है और इस प्रयोगशाला में सैंपल भेजे जा सकते हैं।
इस बीच, न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग में लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी और निर्देश दिया कि पहले की रिपोर्ट सहित परीक्षण रिपोर्ट उसके समक्ष पेश की जाए। नेस्ले इंडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने मैगी के सैंपल का चेन्नई की लैब में परीक्षण कराने के आयोग के निर्देश का विरोध करते हुए कहा कि यह लवण और सीसे के परीक्षण के लिए मान्यता प्राप्त नहीं है।
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इसका प्रतिवाद करते हुए कहा कि उनके ही अनुरोध पर सैंपल चेन्नई भेजे गए थे। हालांकि बाद में नेस्ले इंडिया ओर केंद्र सरकार इन नमूनों को मैसूर भेजने के लिए सहमत हो गए हैं। न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग के आदेश के खिलाफ नेस्ले इंडिया की अपील पर यह आदेश दिया।