मुंबई। जमीन अधिग्रहण और लोगों को परेशानी से बचाने के लिए प्रस्तावित मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन को खंभों पर चलाई जा सकती है। हालांकि परियोजना की लागत में करीब 10,000 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है। इससे मुंबई-अहमदाबाद के बीच यात्रा का समय 8 घंटे से घटकर दो घंटे का रह जाएगा। इस ट्रैक पर 2017 में निर्माणकार्य शुरू होने की संभावना है, जो 2023 में पूरा होगा।
बाड़ेबंदी की नहीं होगी जरूरत
परिवहन एवं बंदरगाह के अतिरिक्त प्रमुख सचिव, गौतम चटर्जी ने कहा कि खंभों पर ट्रेन चलने का मतलब है कि गलियारे के बाड़ेबंदी की जरूरत नहीं होगी ताकि लोग और पशु इस दायरे में न घुस पाएं। उन्होंने कहा, एलिवेटेड गलियारे से, जिस पर हम विचार कर रहे हैं, विशाल भूखंड के अधिग्रहण करने, पशुओं, लोगों तथा गाड़ियों के लिए भूमिगत पारपथ बनाने की समस्या खत्म हो जाएगी। साथ ही परे गलियारे की बाड़ेबंदी की जरूरत नहीं होगी कि पशु और लोग इस दायरे में न घुस आएं। उन्होंने कहा, हालांकि इस तरीके से परियोजना की लागत 10,000 करोड़ रुपए बढ़ेगी। गलिया नासिक के जरिए नहीं गुजरेगा क्योंकि इसमें परियोजना लागत और बढ़ेगी।
2 घंटे में पहुंच सकेंगे मुंबई से अहमदाबाद
जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी और भारत के रेल मंत्रालय ने संयुक्त रूप से दो साल पहले हाई स्पीड रेल की व्यवहारिकता अध्ययन की शुरुआत की थी। इस ट्रेड की स्पीड 320 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और इससे मुंबई-अहमदाबाद के बीच यात्रा का समय 8 घंटे से घटकर दो घंटे का रह जाएगा। इस ट्रैक पर 2017 में निर्माणकार्य शुरू होने की संभावना है, जो 2023 में पूरा होगा। भारत ने ऐसे सात हाई-स्पीड रेल कॉरीडोर बनाने की योजना बनाई है, जिसकी शुरुआत मुंबई-अहमदाबाद से होगी।