नई दिल्ली। भारत के पहले और दुनिया के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी अपने पारिवारिक बिजनेस को संभालने के लिए एक सामूहिक गवर्नेंस स्ट्रक्चर को लागू करने के लिए एक फैमिली काउंसिल का गठन करने की योजना पर काम कर रहे हैं। इस मामले से सीधे जुड़े दो लोगों ने बताया कि फैमिली काउंसिल के जरिये मुकेश अंबानी अपना उत्तराधिकारी का भी चयन करेंगे। इस काउंसिल में परिवार के सभी सदस्यों को बराबर हिस्सेदारी प्रदान की जाएगी। इसमें मुकेश व नीता के साथ ही साथ आकाश, अनंत और ईशा अंबानी शामिल होंगे। मुकेश के तीनों बच्चे भविष्य में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की कमान संभालेंगे।
सूत्रों ने बताया कि रिलायंस का उत्तराधिकारी खोजने के लिए फैमिली काउंसिल बनाने का निर्णय लिया गया है, ताकि किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सके। इस फैमिली काउंसिल में परिवार का एक व्यस्क सदस्य, तीनो बच्चे और एक बाहरी सदस्य शामिल होगा, जो एक मार्गदर्शक और सलाहकार के रूप में काम करेगा। आरआईएल में कोई भी निर्णय लेने में यह फैमिली काउंसिल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह काउंसिल सहमत तरीक से प्रत्येक ब्रांच को प्रतिनिधित्व प्रदान करेगी और परिवार एवं बिजनेस से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करेगी।
सूत्रों ने बताया कि 63 वर्षीय मुकेश अंबानी अगले साल के अंत तक अपना उत्तराधिकारी की खोज को पूरा करना चाहते हैं। इस काउंसिल को बनाने के पीछे मुकेश अंबानी का मकसद है कि उनके परिवार को रिलायंस की 80 अरब डॉलर की संपत्ति को लेकर साफ तस्वीर दिखे ताकि आगे जाकर बंटवारे में कोई विवाद ना हो। मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच जितना विवाद हुआ था, उसे देखते हुए मुकेश अंबानी काफी सतर्कता बरतते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
धीरू भाई अंबानी के नेतृत्व में 80 और 90 का दशक रिलायंस के लिए काफी शानदार था। लेकिन 2002 में धीरू भाई अंबानी के मौत के बाद सब कुछ बिगड़ने लगा। दोनों भाइयों में विवाद हो गया और बिजनेस में बंटवारा करना पड़ा। अनिल अंबानी के हिस्से में कम्युनिकेशन, पावर, कैपिटल बिजनेस आए, जबकि मुकेश अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज का बिजनेस सौंपा गया।
धीरू भाई अंबानी की मौत के बाद दोनों बच्चों में जो विवाद पैदा हुआ था, उसे निपटाने के लिए खुद उनकी मां को बीच में आना पड़ा। 2004 में उनका विवाद खुलकर सामने आ गया था, जिसके बाद उनकी मां कोकिला बेन ने कंपनी को दो हिस्सों में बांट कर दोनों बेटों को दे दिया। इस बंटवारे में आईसीआईसीआई बैंक के तत्कालीन चेयरमैन वीके कामत को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था। दोनों भाइयों के बीच बंटवारे को लेकर विवाद लगभग 4 साल तक चला था।