नई दिल्ली। मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) तथा उसकी ब्रिटेन की भागीदार बीपी पीएलसी ने गैस कीमत संशोधन में देरी को लेकर सरकार के खिलाफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में दी गई कानूनी चुनौती को वापस ले लिया है। यह चुनौती तीन साल पहले दी गई थी।
मध्यस्थता के लिए किए गए मुकदमे को वापस लिए जाने से अब इन दोनों कंपनियों को नए गहरे क्षेत्रों से उत्पादित प्राकृतिक गैस के विपणन और उसकी कीमत तय करने की आजादी होगी। इसमें वह गैस है, जिसका उत्पादन 2022 तक 40,000 करोड़ रुपए के निवेश से शुरू किया जाना है।
उल्लेखनीय है कि डुडले ने जनवरी 2015 में मोदी के साथ अपनी पिछली मुलाकात में गैस कीमत में स्वतंत्रता की सुविधा मुश्किल क्षेत्रों में अविकसित गैस क्षेत्रों को भी देने का पक्ष लिया था। सरकार ने इस पर सहमति जताई और शर्त रखी की कंपनियां सरकार की गैस कीमत नीति को चुनौती देने वाले किसी भी आर्बिट्रेशन चुनौती या कानूनी चुनौती को वापस लेंगी।
आरआईएल ने इसको लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई, जबकि बीपी ने अपनी मंशा 10 मार्च 2016 के फैसले के कुछ ही दिन में जता दी थी। कंपनी के प्रवक्ता ने आज पुष्टि की कि कानूनी चुनौती वापस ले ली गई है। उल्लेखनीय है कि आरआईएल केजी डी6 ब्लॉक की परिचालक है। इसमें उसकी 60 प्रतिशत जबकि बीपी की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। दस प्रतिशत हिस्सेदारी निको कनाडा के पास है।