नई दिल्ली। अधिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी और नई तकनीकों के लिए प्रशिक्षित अधिकारियों को रखे जाने से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर-NIC) के परिचालन में बहुत बदलाव आएगा और इससे डिजिटल इंडिया पहल में यह अहम भूमिका अदा कर सकेगा। इंफोसिस के सह-संस्थापक एस. गोपालकृष्णन की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनआईसी में कर्मचारियों की भारी कमी है। इसकी मानव संसाधन क्षमता सीमित बनी हुई है जबकि उनके मुकाबले काम का बोझ बढ़ा है। इसके अलावा संगठन के सामने एक अन्य बड़ी समस्या उसके पेशेवर लोगों के ज्ञान को अद्यतन करना है जिसमें नई प्रौद्योगिकी के उपकरणों की मदद ली जानी है।
गोपालकृष्णन ने कहा, समिति का सुझाव यह है कि एक सलाहकार समिति बनाई जाए जिसकी अध्यक्षता इलैक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव करें और इसमें अकादमिक क्षेत्र, उद्योग जगत, शोध संस्थानों से लोग लिए जाएं एवं इसमें एनआईसी के महानिदेशक और वरिष्ठ सदस्यों को भी शामिल किया जाए। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि एनआईसी की विभिन्न परियोजनाओं में और अधिक निजी-सार्वजनिक भागीदारी की जाए।
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर ने कहा कि एनआईसी संपर्क मंच का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसकी पहुंच देश के सभी गांवों में है। उन्होंने अच्छा काम किया है। लेकिन समय के साथ चुनौतियां भी बदलती हैं और अब उन्हें बड़ी जिम्मेदारी संभालने की जरूरत है। एनआईसी भारत के परिवर्तन में एक बड़ी भूमिका अदा करेगी। उन्होंने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और अब इस पर प्राथमिकता से विचार किया जाएगा।
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