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चालू वित्त वर्ष में बढ़ सकता है बजट घाटा, आगामी बरसों में शुरू होगा इसमें सुधार : मूडीज

कम कर और ऊंचे सार्वजनिक खर्च की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 में बजट घाटा बढ़ सकता है। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने यह अनुमान लगाया है।

Manish Mishra
Published on: November 19, 2017 18:04 IST
चालू वित्त वर्ष में बढ़ सकता है बजट घाटा, आगामी बरसों में शुरू होगा इसमें सुधार : मूडीज- India TV Paisa
चालू वित्त वर्ष में बढ़ सकता है बजट घाटा, आगामी बरसों में शुरू होगा इसमें सुधार : मूडीज

नई दिल्ली। कम कर और ऊंचे सार्वजनिक खर्च की वजह से वित्त वर्ष 2017-18 में बजट घाटा बढ़ सकता है। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने यह अनुमान लगाया है। मूडीज का कहना है कि कर दायरा बढ़ने तथा खर्च में दक्षता से आगे चलकर इसे कम करने में मदद मिलेगी। मूडीज इंवेस्टर सर्विस के उपाध्यक्ष (सॉवरेन रिस्‍क ग्रुप) विलियम फॉस्टर ने कहा कि एजेंसी का मानना है कि राजकोषीय मजबूती को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता कायम है। सतत वृद्धि से ऋण के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी। मूडीज ने पिछले सप्ताह भारत की सॉवरेन रेटिंग 13 साल में पहली बार बढ़ाई है। मूडीज ने कहा कि आर्थिक और संस्थागत सुधारों की वजह से भारत की वृद्धि की संभावनाएं सुधरी हैं।

फॉस्टर ने कहा कि रेटिंग बढ़ने से पता चलता है कि आर्थिक और संस्थागत सुधारों से भारत की वृद्धि की संभावनाएं बढ़ेंगी। इससे सरकार के ऋण का वित्तीय आधार स्थिर हो सकेगा। इससे मध्यम अवधि में सरकार के सामान्य कर्ज के बोझ में धीरे-धीरे कमी आएगी।

भारत का ऋण से GDP (सकल घरेलू उत्पाद) अनुपात 68.6 प्रतिशत है। सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति ने 2023 तक इसे 60 प्रतिशत पर लाने की सिफारिश की है।

मूडीज के फॉस्‍टर ने कहा कि,

हमारा अनुमान है कि सरकार का बजट घाटा इस वित्त वर्ष में GDP के 6.5 प्रतिशत पर रहेगा। यह इससे पिछले दो वित्त वर्षों के समान है। बजट योजना की तुलना में सरकार का राजस्व कम रहने और सरकार का खर्च कुछ अधिक रहने से बजट घाटा लक्ष्य से अधिक रह सकता है।

उन्होंने कहा कि समय के साथ कर दायरा बढ़ाने के प्रयास तथा सरकारी खर्च की दक्षता में सुधार से घाटे को धीरे-धीरे कम करने में मदद मिलेगी। सामान्य बजट घाटे से तात्पर्य केंद्र और राज्यों द्वारा किए जाने वाले खर्च और राजस्व का अंतर होता है।

उन्होंने कहा कि यदि बैंकिंग प्रणाली की सेहत में उल्लेखनीय गिरावट आती है तो रेटिंग के नीचे की ओर आने का दबाव पड़ सकता है। केंद्र सरकार ने बजट 2017-18 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा है। अगले वित्त वर्ष में इसे तीन प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।

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