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मूडीज ने दिया झटका, सरकार के कदमों से रुपये की गिरावट थमने की संभावना कम

देश में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देने के लिये सरकार की ओर से घोषित पांच-सूत्रीय रणनीति से रुपये की गिरावट के थामने की संभावना नहीं है।

Written by: India TV Paisa Desk
Updated on: September 24, 2018 16:04 IST
Moody's Report- India TV Paisa

Moody's Report

नई दिल्ली देश में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देने के लिये सरकार की ओर से घोषित पांच-सूत्रीय रणनीति से रुपये की गिरावट के थामने की संभावना नहीं है। रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को यह बात कही। भारत सरकार का मानना है कि मसाला बांड को विदहोल्डिंग टैक्स से छूट देने और भारतीय बैंकों को बाजार-निर्माता(प्रतिभूति बाजार में खरीद फरोख्त करने वाला) बनाने की इजाजत समेत उसके द्वारा उठाए गए विभन्न कदमों से चालू वित्त वर्ष में देश में विदेशी पूंजी का का 8 से 10 अरब डॉलर के बराबर प्रवाह बढ़ेगा जो जीडीपी के 0.3-0.4 प्रतिशत के बराबर होगा। सरकार ने अनावश्यक आयात पर अंकुश लगाने की भी मंशा भी जाहिर की है और राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया है।

मूडीज ने कहा, " ये कदम से भारत की वित्तीय साख के लिए अच्छे हैं लेकिन इसके रुपये की गिरावट को थामने की कम ही संभावना है।" जनवरी 2018 से डॉलर के मुकाबले रुपया 10 प्रतिशत से अधिक गिर गया है। 21 सितंबर को यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 72.1 रुपये प्रति डॉलर पर रहा। मूडीज ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी मजबूती रुपये की विनिमय दर की मौजूदा कमजोरी के कारण वित्तीय साख के जोखिम को दूर रखेगी। एजेंसी ने कहा है, "सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का पूंजी प्रवाह पर प्रभाव पड़ने में समय लग सकता है। इसके अलावा इन संभावित उपायों से थोड़े समय के लिये रुपये पर दबाव भी कम हो सकता है।"

मूडीज ने कहा कि गैर-जरूरी चीजों के आयात पर अंकुश लगाने से आयात बिल को कम करने में मदद मिल सकती है। लेकिन इसका प्रभाव देर से देखने को मिलेगा। वर्तमान में, भारत का चालू खाते का घाटा 2013 की तुलना में काफी कम है। उस वर्ष यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पांच प्रतिशत के आसपास था। उस साल मई से अगस्त के बीच डालर के मुकाबले रुपया 20 प्रतिशत गिरा था। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में चालू खाते का घाटा बढ़कर जीडीपी के 2.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है। चालू खाता घाटा देश में आने वाली और देश से बाहर जाने वाली कुल विदेशी मुद्रा के अंतर को कहते हैं।

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