नई दिल्ली। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को देश के पावर सेक्टर का आउटलुक स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया। एजेंसी का कहना है कि कोरोना वायरस संकट के बीच वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ने और ग्राहकों को राहत देने जैसे नीतिगत कदमों से बिजली मांग में कम-से-कम 4 से 5 प्रतिशत कमी आने की आशंका है। मूडीज के अनुसार अप्रैल महीने मे बिजली की मांग सामान्य मांग की तुलना में एक-तिहाई से अधिक कम हुई। इसका कारण कोरोना वायरस की रोकथाम के लिये जारी लॉकडाउन’ (बंद) के कारण औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों का ठप होना है।
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के पावर सेक्टर के परिदश्य को स्थिर से नकारात्मक कर दिया है। बिजली मांग में कमी, भुगतान में देरी और उन सरकारी उपायों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण यह कदम उठाया गया है जिसमें वितरण कंपनियों की तुलना में ग्राहकों का ज्यादा पक्ष लिया गया है। उसने कहा कि गतिविधियां धीमी पड़ने और नीतिगत कदमों से वित्त वर्ष 2020-21 में बिजली मांग में कम-से-कम 4 से 5 प्रतिशत की कमी आएगी। नीतिगत पहल और राज्यों की वितरण कंपनियों द्वारा भुगतान में विलंब के कारण कंपनियों की स्थिति नाजुक बनी हुई है।
मूडीज के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ विश्लेषक अभिषेक त्यागी ने कहा कि पुन: सार्वजनिक क्षेत्र की वितरण कंपनियां सब्सिडी पर निर्भर हैं। ऐसे में जब सरकार कोरोना वायरस महामारी रोकने के लिये सामाजिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च बढ़ा रही है, बिजली कंपनियों को भुगतान में विलम्ब हो सकता है। उन्होंने कहा
कुछ कंपनियां इससे नकदी के दबाव में आ सकती हैं।