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Moody's ने घटाया भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान, कहा 2019-20 में 5.80% रहेगी वृद्धि दर

मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 प्रतिशत से घटाकर बृहस्पतिवार को 5.80 प्रतिशत कर दिया।

Written by: India TV Business Desk
Published on: October 10, 2019 14:24 IST
Moody's - India TV Paisa

Moody's 

नई दिल्ली। मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने वित्‍त वर्ष 2019-20 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर का अनुमान 6.20 प्रतिशत से घटाकर गुरुवार को 5.80 प्रतिशत कर दिया। मूडीज का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक नरमी से काफी प्रभावित है और इसके कुछ कारक दीर्घकालिक असर वाले हैं। रिजर्व बैंक ने भी हालिया मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.10 प्रतिशत कर दिया है।

मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा कि नरमी का कारण निवेश में कमी है, जो बाद में रोजगार सृजन में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र में वित्तीय संकट के कारण उपभोग में भी प्रभावी हो गया। उसने कहा कि नरमी के कई कारण हैं और इनमें से अधिकांश घरेलू हैं तथा दीर्घकालिक असर वाले हैं।

मूडीज ने कहा कि वृद्धि दर बाद में तेज होकर वित्‍त वर्ष 2020-21 में 6.6 प्रतिशत और मध्यम अवधि में करीब सात प्रतिशत हो जाएगी। उसने कहा कि हम अगले दो साल जीडीपी की वास्तविक वृद्धि तथा महंगाई में धीमे सुधार की उम्मीद करते हैं। हमने दोनों के लिए अपना पूर्वानुमान घटा दिया है।

दो साल पहले की स्थिति से तुलना करें तो जीडीपी वृद्धि दर आठ प्रतिशत या इससे अधिक बने रहने की उम्मीद कम हो गई है। इससे पहले एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और ओईसीडी ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान कम कर दिया था। रेटिंग एजेंसियां स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और फिच ने भी पूर्वानुमान में कटौती की है।

मूडीज ने कॉरपोरेट कर में कटौती तथा कम जीडीपी वृद्धि दर के कारण राजकोषीय घाटा सरकार के लक्ष्य से 0.40 प्रतिशत अधिक होकर 3.70 प्रतिशत पर पहुंच जाने की आशंका व्यक्त की। उसने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानक के हिसाब से वास्तविक जीडीपी में पांच प्रतिशत की वृद्धि अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन भारत के संदर्भ में यह कम है।

हालिया वर्षों में मुद्रास्फीति में अच्छी खासी गिरावट के कारण सांकेतिक जीडीपी की वृद्धि दर पिछले दशक के करीब 11 प्रतिशत से गिरकर 2019 की दूसरी तिमाही में करीब आठ प्रतिशत पर आ गई है। उसने कहा कि 2012 के बाद निजी निवेश अपेक्षाकृत नरम रहा है लेकिन जीडीपी में करीब 55 प्रतिशत योगदान देने वाला उपभोग शानदार रहा है।

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