नई दिल्ली। भारत की रिफाइनरी कंपनियों को अगले माह के दौरान ईरान से कच्चे तेल का आयात घटाना चाहिए या पूरी तरह बंद कर देना चाहिए। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने गुरुवार को यह राय जाहिर की। मूडीज का कहना है कि भारत को कच्चे तेल के आयात के लिए पश्चिम एशिया के अन्य आपूर्तिकर्ताओं सऊदी अरब और इराक पर निर्भरता बढ़ानी चाहिए।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इससे पहले इसी सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान दोहराया कि ईरानी तेल निर्यात पर प्रतिबंध पांच नवंबर से लागू होंगे। अमेरिका उन देशों के साथ काम कर रहा है जो ईरानी तेल का आयात कर रहे हैं जिससे ये देश ईरान से अपनी खरीद उल्लेखनीय रूप से घटा सकें। चीन के बाद भारत ईरानी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। अप्रैल-अगस्त, 2018 के दौरान ईरान से निर्यात किए गए कुल कच्चे तेल में भारत की हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत रही है।
मूडीज ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां या तो ईरान से कच्चे तेल का आयात उल्लेखनीय रूप से घटाएंगी या उसे पूरी तरह बंद कर करेंगी।’’ पश्चिम एशिया के अन्य कच्चे तेल के ग्रेड की तुलना में ईरानी कच्चा तेल दो से चार डॉलर प्रति बैरल की रियायत पर बेचा जाता है। ईरान की राष्ट्रीय तेल कंपनी कच्चे तेल की आपूर्ति में ढुलाई लागत पर सब्सिडी भी देती है। साथ ही वह खरीदारों को भुगतान आगे करने की सुविधा भी देती है।
भारत में ईरानी कच्चे तेल का आयात इंडियन आयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी और मेंगलूर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स जैसी कंपनियां करती हैं।