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भारत में एक भी नहीं ऐसी इंडस्ट्री जहां महिलाओं को मिलती हो पुरूष के बराबर सैलरी

ऑनलाइन अपॉइंटमेंट सर्विस प्रोवाइडर मॉन्स्टर इंडिया के ताजा सैलरी इंडेक्स के आकड़ों से पता चलता है कि भारत में महिलाओं और पुरुष की सैलरी में भारी असमानता है।

Dharmender Chaudhary
Updated on: May 21, 2016 10:14 IST
Gender Disparity: भारत में एक भी नहीं ऐसी इंडस्ट्री जहां महिलाओं को मिलती हो पुरुष के बराबर सैलरी- India TV Paisa
Gender Disparity: भारत में एक भी नहीं ऐसी इंडस्ट्री जहां महिलाओं को मिलती हो पुरुष के बराबर सैलरी

नई दिल्ली। देश में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार तमाम योजनाएं चला रही है, लेकिन इसका असर दिखता नजर नहीं आ रहा है। ऑनलाइन कैरियर और अपॉइंटमेंट सर्विस प्रोवाइडर मॉन्स्टर इंडिया के ताजा सैलरी इंडेक्स के आकड़ों से पता चलता है कि भारत में स्त्री और पुरुष की सैलरी में भारी असमानता है। सैलरी इंडेक्स के मुताबिक भारत में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 27 फीसदी तक कम सैलरी मिलती है। रिपोर्ट के मुताबिक पुरुषों का औसत सकल वेतन जहां 288.68 रुपए प्रति घंटा है, वहीं महिलाओं की आय 207.85 रुपए प्रति घंटा तक ही है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए मॉन्स्टर ने आठ सेक्टर्स की 30,000 महिलाओं के बीच सर्वे किया है।

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मैन्युफैक्चरिंग और आईटी सेक्टर में सबसे ज्यादा अंतर

महिला और पुरुष में सबसे ज्यादा असमानता ऐसे सेक्टर्स में है, जहां भारी संख्या में लोग काम करते हैं, जैसे मैन्युफैक्चरिंग। मॉन्स्टर सैलरी इंडेक्स के मुताबिक महिला-पुरुष वेतन में सबसे ज्यादा अंतर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 34.9 फीसदी का है। इसके बाद सबसे कम सेलरी महिलाओं को आईटी सेक्टर में मिलती है। आईटी सेक्टर में पुरुष 360.9 रुपए प्रति घंटा कमाते हैं, जबकि महिलाओं की आय 239.6 रुपए प्रति घंटा है। सैलरी में सबसे कम असमानता बैंक, फाइनेंस, बीमा क्षेत्र में है। वहीं, परिवहन, लॉजिस्टिक्स और टेलीकॉम में यह फासला समान रूप से 17.7 फीसदी है।

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पुरुष की बराबरी करने में महिलाओं को लगेंगे 118 साल

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ग्लोबल जेंडर गैप 2015 रिपोर्ट के अनुसार महिला-पुरूष के बीच के अंतर को खत्म होने में और 118 वर्ष लग सकते हैं। यह रिपोर्ट 145 देशों की अर्थव्यवस्था के आधार पर तैयार की गई थी। वहीं मॉन्स्टर इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में सैलरी गैप के पीछे कई वजहों का जिक्र किया है। रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू बच्चों के पालन-पोषण की वजह से महिलाओं द्वारा नौकरी से अवकाश लेना और अन्य सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारणों से कम सैलरी ऑफर की जाती है। दूसरी ओर कंपनियां इन कारण की वजह से पुरुषों को नौकरी पर रखना पसंद करते हैं और उच्च पदों पर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक पदोन्नति किया जाता है।

सैलरी ही नहीं वर्कफोर्स में भी महिला पीछे

सिर्फ मजदूरी ही नहीं भारत में महिला कार्यबल की भागीदारी में भी सुधार नहीं हो रहा है। डब्ल्यूईएफ की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग काफी नीचे है। इकोनॉमिक पार्टिसिपेशन एंड अपॉर्च्‍युनिटी इंडेक्स फॉर वीमेन 2015 की लिस्ट में भारत पांच पायदान फिसलकर 139वे नंबर पर आ गया है। इसमें कुल 145 देश शामिल हैं। भारत का इकोनॉमिक इक्विलिटी स्कोर 0.383 डिसमिल है, जबकि जीरो को असमानता और एक को उत्तम माना जाता है। भारत को फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों से सीख लेने की जरूरत है, जहां जेंडर गैप ना के बराबर है।

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