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टैक्‍स चोरों का बचना मुश्किल ही नहीं नामु‍मकिन, अगले दो साल में बंद हो जाएगा मनी लॉन्ड्रिंग का गोरखधंधा

बैंकिंग इन्‍फॉर्मेशन की ऑटोमेटिक एक्सचेंज प्रणाली लागू होने के बाद एक से दो साल में टैक्स-चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग बेहद मुश्किल हो जाएगा।

Shubham Shankdhar
Updated : November 05, 2015 17:22 IST
टैक्‍स चोरों का बचना मुश्किल ही नहीं नामु‍मकिन, अगले दो साल में बंद हो जाएगा मनी लॉन्ड्रिंग का गोरखधंधा
टैक्‍स चोरों का बचना मुश्किल ही नहीं नामु‍मकिन, अगले दो साल में बंद हो जाएगा मनी लॉन्ड्रिंग का गोरखधंधा

नई दिल्ली। अब जल्‍द ही टैक्‍स चोरों का बचना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा। यह बात सोमवार को देश के वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने कही। जेटली ने कहा कि बैंकिंग इन्‍फॉर्मेशन की ऑटोमेटिक एक्सचेंज के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रणाली लागू होने के बाद एक से दो साल में टैक्स-चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग (ब्लैक को व्‍हाईट करना) बेहद मुश्किल हो जाएगा। गौरतलब है कि देश में मनी लॉन्ड्रिंग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कई बैंक शक के घेरे में हैं।

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जेटली ने पूरे भरोसे से कहा कि चीजें जिस दिशा में बढ़ रही हैं उसके परिणाम साल दो साल में आने दिखाई देने लगेंगे। उन्होंने कहा कि सूचनाएं तत्काल मिलने लगेंगी और उससे जहां तक कानून का उल्लंघन करने वालों का सवाल है तो उनका जीवन दुश्वार हो जाएगा। यह बातें जेटली ने जालों का जाल विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही।

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वित्त मंत्री ने कहा कि विकसित और विकासशील देशों के समूह जी20 की पहल के बाद टैक्स चोरी और ब्लैक मनी का निवेश करना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी रोकने के प्रयास में अनेकों अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी जुड़ चुकी है। जेटली ने कहा, दुनिया अब एक ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ रही है जहां आप अपने लाभ की कमाई को उस देश की जगह किसी और क्षेत्र में नहीं दिखा सकेंगे जहां आप ने उसे वास्तव में कमाया है। लाभ को दूसरी जगह दिखाने से वास्तविक देश के कराधान का क्षरण होता है।

गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में ऑस्‍ट्रेलिया में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में नेताओं ने पारदर्शिता के नए मानकों का अनुमोदन किया। इसके तहत 90 से अधिक देश और स्वतंत्र न्यायिक क्षेत्र 2017-18 से टैक्स संबंधी ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ इन्‍फॉर्मेशन सिस्टम शुरू कर देंगे और इसमें इन्‍फॉर्मेशन प्रस्तुत करने के मानक एक समान होंगे। भारत इस प्रणाली का अनुमोदन करने वाले प्रारंभिक देशों में से एक है।

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