वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पहली बैठक में H-1B वीजा का मुद्दा नहीं उठा। हालांकि भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से इस मुद्दे को महत्वपूर्ण माना जा रहा था। ट्रंप ने H-1B वीजा से जुड़े नियमों को कड़ा करने और उसका दुरूपयोग रोकने के लिये अप्रैल में कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। H-1B वीजा पर कड़ाई को लेकर भारत में चिंता बढ़ी है। ट्रंप प्रशासन द्वारा H-1B वीजा की समीक्षा के साथ यह मामला मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले सुर्खियों में था और ऐसी संभावना थी कि यह मुद्दा दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बातचीत में प्रमुखता से उठेगी। H-1B वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच बातचीत में H-1B वीजा का मुद्दा नहीं उठा।
यह भी पढ़ें : अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने GST को बताया ऐतिहासिक टैक्स सुधार, भारत के साथ बनाना चाहते हैं बराबरी का व्यापार संबंध
इस बारे में पूछे जाने पर कि क्या बातचीत में H-1B वीजा का मुद्दा उठा, विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि H-1B वीजा के मुद्दे पर उद्योग दिग्गजों के साथ काफी चर्चा हुई और दोनों नेताओं ने डिजिटल भागीदारी के बारे में बातचीत की।
जयशंकर ने कहा, दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की असाधारण भूमिका को स्वीकार किया है। जयशंकर ने कहा कि जब आप किसी चीज को महत्व देते हैं, तो जाहिर है आप उसका ध्यान रखते हैं। दोनों नेताओं की बैठक के बाद जारी भारत-अमेरिका संयुक्त बयान में H-1B वीजा मुद्दे का कोई जिक्र नहीं किया गया है।
यह भी पढ़ें : 11 दिन में 1.93 रुपए प्रति लीटर सस्ता हुआ पेट्रोल, डीजल के दाम 96 पैसे घटे, अब आगे क्या
व्हाइट हाउस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय-अमेरिकी ने इनोवेशन और उद्यमशीलता को अपनाया। वे सिलिकन वैली में सबसे आगे हैं और एक अनुमान के अनुसार सिलिकन वैली के करीब 15 प्रतिशत स्टार्टअप के गठन में उनका योगदान है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने पेंटियम चिप, फाइबर आप्टिक्स समेत अन्य कई नये उत्पाद विकसित करने में मदद की।
आज करीब 40 लाख भारतीय-अमेरिकी अमेरिका में रह रहे हैं और 7,00,000 अमेरिकी नागरिक भारत में रहते हैं। पिछले साल अमेरिकी सरकार ने करीब 10 लाख वीजा भारतीय नागरिकों को जारी किया और 17 लाख भारतीय नागरिकों के अमेरिका यात्रा को सुगम बनाया।