नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए सुरक्षित और प्रभावी कोरोना वायरस वैक्सीन की तलाश दुनियाभर में जारी है। भारत सहित दुनियाभर में कोरोना वायरस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। इस बीच भारत सरकार ने नेशनल वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन प्लान तैयार किया है और देशवासियों को कोरोना वायरस की वैक्सीन देने के लिए 50,000 करोड़ रुपए का एक अलग फंड बनाया है। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना वैक्सीन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह देने वाले पैनल के अध्यक्ष डॉ. विनोद पॉल ने कहा कि देश में कोरोना वायरस का टीका सबसे पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को लगाया जाएगा, जो अपनी जान दांव पर लगाकर कोरोना मरीजों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पब्लिक और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों के हेल्थ वर्कर्स, म्यूनिसिपल वर्कर्स और पुलिस कर्मचारियों को पहले टीका दिया जाएगा।
डॉ. विनोद पॉल ने कहा कि कोरोना का टीका सबसे पहले सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के हेल्थ वर्कर्स को लगेगा, जो ग्रामीण और शहरी भारत में कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सीधे कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से वैक्सीन खरीदेगी और सबसे पहले जरूरतमंद लोगों को टीका लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन के लिए अलग से चार्ट नहीं बनाने को कहा गया है।
केंद्र सरकार ने सबसे जरूरतमंद 30 करोड़ लोगों को पहचानने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिन्हें सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा। पहले चरण में चार श्रेणियों के लोगों को टीका लगाया जाएगा। इनमें सबसे पहले करीब 1 करोड़ हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर, नर्स, एमबीबीएस स्टूडेंट्स, आशा वर्कर्स आदि को वैक्सीन दिया जाएगा। इसके बाद 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे पुलिस, आर्मी, नगर निगम के कर्मचारियों को टीका लगेगा। तीसरी श्रेणी में 50 साल से अधिक उम्र के 26 करोड़ लोगों को रखा गया है और चौथी श्रेणी में स्पोशल ग्रुप के बीमार लोगों को रखा गया है।
केंद्र सरकार का अनुमान है कि एक वैक्सीन पर करीब 500 रुपये का खर्च आएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए सरकार ने पहले ही 50,000 करोड़ रुपये का एक अलग कोविड फंड बनाया है। इस समय भारत में तीन वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें दो स्वदेशी वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवाक्सिन और जाइडस कैडिला की जाइकोव-डी शामिल हैं। इनके सेकेंड फेज का ट्रायल चल रहा है। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविशील्ड के तीसरे चरण का ट्रायल सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा भारत में किया जा रहा है।