Highlights
- सरकार क्रिप्टोकरेंसी को कर दायरे में लाने के लिए आयकर कानूनों में बदलाव पर विचार कर रही है
- आयकर के संदर्भ में कुछ लोग पहले से ही क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर पूंजीगत लाभ कर का भुगतान कर रहे हैं
- गवर्नर शक्तिकांत दास चिंता चुके हैं कि आभासी मुद्राओं से देश की आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता को लेकर कई गहरी चिंताएं जुड़ी हुई
नई दिल्ली। जल्द ही आपको क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी को टैक्स के दायरे में लाने के लिए आयकर कानूनों में बदलाव करने पर विचार कर रही है। इनमें से कुछ बदलाव अगले साल के बजट का हिस्सा हो सकते हैं।
राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि आयकर के संदर्भ में कुछ लोग पहले से ही क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर पूंजीगत लाभ कर का भुगतान कर रहे हैं और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के संबंध में भी कानून बहुत स्पष्ट है कि दर अन्य सेवाओं की तरह लागू होगी। बजाज ने बताया कि हम निर्णय लेंगे। मैं समझता हूं कि पहले से ही लोग इस पर कर चुका रहे हैं। अब जब यह वास्तव में बहुत बढ़ गया है, तो हम देखेंगे कि क्या कानून की स्थिति में कुछ बदलाव ला सकते हैं या नहीं। लेकिन यह एक बजट की गतिविधि होगी। हम पहले से ही बजट के करीब हैं, हमें उस समय को देखना होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) का प्रावधान पेश किया जा सकता है, सचिव ने कहा कि अगर हम एक नया कानून लेकर आते हैं, तो हम देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लेकिन हां, अगर आप पैसा कमाते हैं तो आपको कर देना होगा। हमारे पास पहले से ही कुछ कर हैं, कुछ ने इसे एक संपत्ति के रूप में माना है और इस पर पूंजीगत लाभ कर का भुगतान किया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग में शामिल लोगों को फैसिलिटेटर, ब्रोकरेज और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और जीएसटी के तहत कराधान कैसे किया जाएगा, बजाज ने कहा कि अन्य सेवाओं में भी ऐसी चीजें पहले से ही उपलब्ध हैं। इसलिए जो भी जीएसटी दर उन पर लगती है, वहीं दर इन लोगों पर भी लागू होगी। उन्होंने कहा कि इन लोगों को स्वयं को पंजीकृत करवाना होगा। जीएसटी कानून बहुत स्पष्ट है। अगर कोई गतिविधि है, या कोई ब्रोकर है जो लोगों की मदद कर रहा है और उनसे ब्रोकरेज शुल्क ले रहा है, तो उसे जीएसटी देना होगा।
आरबीआई गवर्नर ने जताई चिंता
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि आभासी मुद्राओं से देश की आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता को लेकर कई गहरी चिंताएं जुड़ी हुई हैं। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े गहरे मुद्दों पर गहन विमर्श की जरूरत है। दास ने कहा कि आंतरिक विमर्श के बाद आरबीआई की यह राय है कि वृहत आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता पर गंभीर चिंताएं हैं और इनके बारे में गहन चर्चा करने की जरूरत है। दास ने चलन में मौजूद क्रिप्टोकरेंसी की मात्रा पर संदेह जताते हुए कहा कि निवेशकों को इसके जरिये लुभाने की कोशिश की जा रही है। क्रिप्टो खाते खोलने के लिए ऋण भी दिए जा रहे हैं।
समिति ने नियमन की जरूरत बताई
वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने क्रिप्टोकरेंसी के तमाम पहलुओं को लेकर हितधारकों के साथ चर्चा की जिसमें कई सदस्यों ने इसपर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय इसके नियमन की जरूरत बताई। ऐसी चर्चा है कि सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक ला सकती है।
पीएम मोदी भी हैं चिंतित
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पर भारी रिटर्न के भ्रामक दावों पर चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर कहा कि इस तरह के अनियंत्रित बाजारों को ‘धन शोधन और आतंकी वित्त पोषण का जरिया नहीं बनने दिया जा सकता। उन्होंने संकेत दिया कि इस संबंध में जल्द ही मजबूत नियामक उपाए किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार को पता है कि यह एक विकसित हो रही तकनीक है। वह इस पर कड़ी नजर रखेगी और सक्रिय कदम उठाएगी। इस बात पर भी सहमति थी कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उठाए गए कदम प्रगतिशील और आगे की सोच रखने वाले होंगे।