नई दिल्ली। सरकार ने पिछले छह दशक से चल रही पंचवर्षीय योजनाओं के स्थान पर अब 15 वर्षीय दृष्टिपत्र लाने की तैयारी की है। यह दृष्टि पत्र नीति आयोग द्वारा तैयार किया जाएगा और इसमें आंतरिक सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा।
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की थी। पंचवर्षीय योजनाओं में आंतरिक सुरक्षा और रक्षा जैसे विषय शामिल नहीं किए जाते रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से बुनियादी ढांचा, वाणिज्य, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाता रहा है। एक सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने नीति आयोग को 2030 तक के लिए 15 साल का दृष्टिपत्र बनाने का काम सौंपा है। यह सतत विकास लक्ष्य के साथ समाप्त होगा। यह 15 साल की संभाव्य योजना होगी।
नीति आयोग 2017-18 से 2023-24 तक सात साल के लिए एक रणनीतिक दस्तावेज भी तैयार करेगा, जो कि दीर्घकालिक दृष्टि दस्तावेज को राष्ट्रीय विकास एजेंडा के एक हिस्से के तौर पर क्रियान्वयन वाली नीति और कार्रवाई में बदलेगा। सात साल के रणनीतिक दस्तावेज की मार्च, 2020 में समाप्त वर्ष में मध्यावधि समीक्षा भी होगी। सूत्र ने कहा, राष्ट्रीय विकास एजेंडा के हिस्से के तौर पर 2017-18 से 2019-20 तक तीन साल की कार्रवाई योजना को 14वें वित्त आयोग से संबद्ध किया जाएगा।
सूत्र ने बताया कि 12वीं योजना (2012-17) के आकलन दस्तावेज के मसौदे को फिलहाल अंतिम रूप दिया जा रहा है और दृष्टिपत्र तथा सात वर्षीय रणनीति पत्र पर प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। कई समितियों ने सरकार के खर्च को योजना और गैर-योजना खर्च के तौर पर वर्गीकृत किए जाने पर सवाल उठाया था। आम धारणा यह है कि यह वर्गीकरण राजस्व और पूंजी व्यय के रूप में होना चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल के बजट भाषण में घोषणा की है कि वर्ष 2017-18 से योजना और गैर-योजना वर्गीकरण को समाप्त किया जाएगा।