नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के प्रस्तावित मेगा आईपीओ को सुपरहिट बनाने के लिए सार्वजनिक बीमा कंपनी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने पर विचार कर रही है। सरकार की इस पहल से विदेशी निवेशकों को कंपनी के प्रस्तावित आईपीओ में भाग लेने में मदद मिलेगी। इस प्रस्ताव पर वित्तीय सेवा विभाग और निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) के बीच चर्चा चल रही है।
एक सूत्र ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों से प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है। इस पर विभिन्न मंत्रालयों के बीच भी चर्चा होगी और इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी की भी आवश्यकता होगी। मौजूदा एफडीआई नीति के मुताबिक बीमा क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग के तहत 74 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है। हालांकि, ये नियम भारतीय जीवन बीमा निगम पर लागू नहीं होते हैं। एलआईसी का अलग एलआईसी कानून है। सेबी नियमों के अनुसार, सार्वजनिक पेशकश के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) दोनों की अनुमति है।
LIC में नहीं है विदेशी निवेश का प्रावधान
सूत्रों ने कहा कि चूंकि एलआईसी अधिनियम में विदेशी निवेश के लिए कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए विदेशी निवेशकों की भागीदारी के संबंध में प्रस्तावित एलआईसी आईपीओ को सेबी के मानदंडों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है। मंत्रिमंडल ने जुलाई में एलआईसी के प्रारम्भिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के लिए मंजूरी दी थी। सरकार को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक एलआईसी का आईपीओ आ जाएगा। निर्गम का 10 प्रतिशत हिस्सा पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित होगा। सरकार पहले ही प्रस्तावित आईपीओ के लिए एलआईसी अधिनियम में आवश्यक विधायी संशोधन ला चुकी है।
16 मर्चेंट बैंकर हैं दौड़ में शामिल
डेलॉइट और एसबीआई कैप्स को आईपीओ पूर्व लेनदेन सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है। सोलह मर्चेंट बैंकर मेगा आईपीओ का प्रबंधन पाने की होड़ में हैं। ये बैंकर सप्ताह के दौरान डीआईपीएएम के समक्ष प्रस्तुतीकरण देंगे। बीएनपी पारिबा, सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया और डीएसपी मेरिल लिंच लिमिटेड (जिसे अब बोफा सिक्योरिटीज के नाम से जाना जाता है) सहित सात अंतरराष्ट्रीय बैंकर अपना प्रस्तुतीकरण देंगे। सरकार के लिए अपने विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए एलआईसी की सूचीबद्धता महत्वपूर्ण होगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अल्पांश हिस्सेदारी बिक्री और निजीकरण से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
वित्त मंत्रालय बैंक गारंटी के विकल्प के रूप में बीमा बांड लाने पर कर रहा विचार
वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने कहा कि सरकार बैंक गारंटी के विकल्प के तौर पर बीमा बांड पेश करने पर विचार कर रही है। सोमनाथन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उद्योग प्रमुखों की बैठक के दौरान यह घोषणा की। सीतारमण दो दिन के मुंबई दौरे पर हैं।
सरकार भरोसे को लेकर प्रतिबद्ध
आधिकारिक बयान के अनुसार सरकार बैंक गारंटी के विकल्प के रूप में बीमा बांड लाने पर विचार कर रही है। बैंक गारंटी आमतौर पर ऋण देते समय मांगी जाती है और सामान्य रूप से गिरवी संपत्ति के तौर पर इसकी जरूरत होती है। एक बीमा बांड भी गारंटी की तरह है लेकिन इसके लिए किसी प्रकार की रहन की आवश्यकता नहीं होती। उद्योग प्रमुखों के साथ बैठक में सीतारमण ने कहा कि सरकार नीतियों के मामले में निश्चितता और भरोसे को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि नियामकों की भी यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
जटिल नियमों को बनाया जाएगा सरल
बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर नियामकों के साथ काम कर रही है। इस मौके पर राजस्व सचिव तरूण बजाज ने कहा कि विभाग स्टार्टअप के कर संबंधित मुद्दों पर काम कर रहा है। उन्होंने इस बारे में उद्योगों से सुझाव मांगे। सीतारमण ने उद्योग को बिजली की उच्च दर समेत प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने वाले और जटिल नियामकीय अनुपालनों के मुद्दों के समाधान का आश्वासन भी दिया।
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